देश में हर रेल हादसे के बाद नैतिकता के आधार पर रेल मंत्री के इस्तीफे की मांग विपक्ष करता रहा है। देश के इतिहास में रेल हादसे की वजह से आज तक केवल दो रेल मंत्रियों ने ही अपने पद से इस्तीफे दिए। इनमें एक लाल बहादुर शास्त्री और दूसरे नीतीश कुमार थे।
अगस्त 1956 में, आंध्र प्रदेश के महबूबनगर में एक बड़ी रेल दुर्घटना हुई, जिसमें 112 लोगों की मौत हो गई थी। दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंप दिया, लेकिन नेहरू ने शास्त्री को अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए मना लिया।
कुछ महीने बाद नवंबर, 1956 में, तमिलनाडु के अरियालुर में एक और रेल दुर्घटना हुई। इस त्रासदी के परिणामस्वरूप 144 मौतें हुईं। शास्त्री ने तुरंत अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री को सौंप दिया और इसे जल्द स्वीकार करने की गुहार लगाई।
शास्त्री के इस्तीफे के बाद 30 सांसदों ने पं. नेहरू से इसे न स्वीकार करने का आग्रह किया
शास्त्री द्वारा पेश किए गए इस दूसरे इस्तीफे ने देशवासियों का ध्यान आकर्षित किया। जब यह पता लगा कि प्रधानमंत्री नेहरू इस्तीफा स्वीकार करने के इच्छुक हैं, तो 30 सांसदों ने नेहरू से शास्त्री को नहीं जाने देने की अपील की। उनका विचार था कि शास्त्री को इस्तीफे की पेशकश के लिए सराहना की जानी चाहिए, उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि वे दुर्घटना के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार नहीं थे। दुर्घटना तकनीकी खराबी के कारण हुई थी जिसकी जिम्मेदारी रेलवे बोर्ड को लेनी चाहिए।
सांसद स्पष्ट थे कि दोष नौकरशाही को लेना चाहिए न कि राजनीतिक कार्यपालिका को। हालांकि, नेहरू ने शास्त्री का इस्तीफा स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति को भेज दिया। शास्त्री को नेहरू द्वारा सर्वोच्च सत्यनिष्ठ व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया था। बाद में, वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू के उत्तराधिकारी बने।
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल एकीकृत के प्रमुख नीतीश कुमार ने अगस्त 1999 में असम में गैसल ट्रेन दुर्घटना के बाद रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। इस दुर्घटना से 290 लोगों की मौत हुई थी। तत्कालीन समता पार्टी के हिस्से से नीतीश कुमार ने 19 मार्च 1998 से पांच अगस्त 1999 तक रेल मंत्री के रूप में कार्य किया।
पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने 2000 में दो ट्रेन दुर्घटनाओं के बाद नैतिक आधार पर रेल मंत्री का अपना पद छोड़ दिया था। हालांकि, बनर्जी के इस्तीफे को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वीकार नहीं किया था। एनडीए सरकार में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 2017 में कुछ दिनों के अंतराल पर हुए दो रेल हादसों के बाद अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। उनका इस्तीफा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार नहीं किया था।
हालांकि इसके एक महीने बाद सितंबर में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ और पीयूष गोयल नए रेल मंत्री बनाए गए। प्रभु के रेल मंत्री रहते 23 अगस्त, 2017 को दिल्ली जाने वाली कैफियत एक्सप्रेस के नौ कोच उत्तर प्रदेश के औरैया के पास पटरी से उतर गए, जिससे 70 लोग घायल हो गए थे। 19 अगस्त 2017 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में खतौली के पास कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। यह ट्रेन पुरी से हरिद्वार जा रही थी। इस घटना में 23 लोगों की मौत हुई थी।