रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार (10 मई) को कहा कि देश की इस रेल में भारी निवेश तथा नयी तकनीक लाना समय की मांग है और इसके बिना भारतीय रेलवे कहीं आगे नहीं जा सकेगी। प्रभु ने दिवंगत उमरावमल पुरोहित स्मृति अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही। उन्होंने कहा, “रेलवे में निवेश की जरूरत है। चीन में रेलवे में सालाना निवेश 9-10 लाख करोड़ रुपए है जबकि यहां यह 40,000 करोड़ रच्च्पये है।” उन्होंने कहा कि निवेश की कमी के कारण रेलवे को परिवहन कारोबार के अवसरों का नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, “इस कारण ट्रैफिक अन्य क्षेत्रों को जा रहा है। इसलिए हमने रेलवे में निवेश बढाने का फैसला किया है और यह निवेश आने वाले वर्षों में बढेगा।”
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भारतीय रेलवे की तुलना अमेरिका की रेलरोड सेवा एमट्रेक से करते हुए प्रभु ने कहा कि एक रपट के अनुसार एमट्रेक निवेश की कमी के कारण ही पटरी से उतर गई। हमें एमट्रेक से सीखना होगा। उन्होंने निवेश नहीं किया इसलिए उनका भविष्य धूमिल रहा। निवेश पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “एक अनुसंधान रपट के अनुसार निवेश के अभाव का असर भारतीय रेलवे भी हो रहा है जैसा कि एमट्रेक के साथ हुआ था। रेलवे में निवेश की जरूरत है।”
रेल परिचालन में तकनीक का महत्व बताते हुए हुए प्रभु ने कहा, “बुनियादी ढांचे के साथ साथ नई तकनीक भी आनी चाहिए। दुनिया की बेहतर तकनीक आनी चाहिए। लेकिन हम हमेशा ही तकनीक का आयात नहीं करें। तकनीक के विकास के लिए अनुसंधान व विकास केंद्र होने चाहिए।” उन्होंने पुरोहित की सेवाओं को याद करते हुए कहा, “उन्होंने रेलवे स्टाफ के कल्याण के लिए काम किया।”