Rahul Gandhi Mic Row: लोकसभा में नीट का मुद्दा उठाते समय नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का माइक्रोफोन बंद होने पर विपक्षी नेताओं ने गंभीर चिंता जताई और न केवल सदन के अंदर बल्कि बाहर भी इस पर सवाल उठाए। कांग्रेस नेता राहुल ने खुद भी कहा कि लोकसभा की कार्रवाई के दौरान उनका माइक बंद किया गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोप पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यहा पर कोई भी ऐसा बटन नहीं होता है, जिससे माइक को बंद कर दिया जाए। ऐसे में अब सवाल यह खड़ा होता है कि संसद के माइक की कमान किसके हाथ में होती है।
नई संसद के सदन लोकसभा और राज्यसभा में माइक को कंट्रोल करने के लिए एक अलग पैनल होता है। साउंड इंजीनियर राज्यसभा और लोकसभा के स्पीकर के आसन के ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर बैठते हैं। वह वहां पर बैठे-बैठे रियल टाइम सीसीटीवी और पैनल में लगे स्क्रीन में सभी सांसदों को देख सकते हैं। उन्हीं का काम माइक को बंद और चालू करने का होता है। नई लोकसभा के गठन के बाद अभी तक सभी सांसदों को डिविजन नंबर नहीं मिले हैं। यहीं कारण है कि वह सांसदों को स्क्रीन या सीसीटीवी में देखने के बाद उनका माइक चालू और बंद करते हैं। डिविजन का नंबर मिलने के बाद उनका काम बहुत ही सरल हो जाता है।
अब इसमें डिविजन नंबर का जिक्र किया गया है। इसको आसान शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है कि डिविजन नंबर ही सीट का नंबर होता है। डिविजन नंबर मिलने के बाद सांसद सिर्फ अपनी ही सीट से बोल सकता है। उसका नाम अनाउंस होने के बाद केवल जिस सीट पर वह बैठा है वहीं माइक चालू होगा। बाकी बंद रहेंगे।
नियम क्या कहते है?
बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों में हर एक सांसद के आगे माइक होता है और साउंड इंजिनियर के हाथ में इसकी कमान होती है। लेकिन ऐसा करने के लिए कुछ नियम फिक्स नहीं है। शून्य काल में हर सासंद को बोलने के लिए तीन मिनट का समय दिया जाता है। उनका समय पूरा होने के बाद माइक बंद हो जाता है। आसन से जिस भी सांसद का नाम पुकारा जाता है तो माइक चालू करना होता है। जब आसन से यह कहा जाता है कि यह रिकॉर्ड में नही जाएगा तो माइक बंद हो जाता है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जारी किया वीडियो
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि विपक्षी दल इंडिया अलायंस NEET पेपर और मौजूदा पेपर लीक मुद्दे पर सरकार के साथ रचनात्मक बहस करना चाहता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें आज संसद में ऐसा करने की इजाजत नहीं दी गई। यह एक गंभीर चिंता का विषय है जो पूरे भारत में लाखों परिवारों को परेशान कर रहा है। हम प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर बहस करने और छात्रों को वह सम्मान देने का आग्रह करते हैं जिसके वे हकदार हैं।