राहुल गांधी ने मंगलवार (7 फरवरी) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पलटवार करते हुए उन पर उत्तराखंड भूकंप त्रासदी का मजाक बनाने और स्वतंत्रता संघर्ष का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी पर विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं दिया। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने अर्थव्यवस्था की सर्जरी वाली टिप्पणी को लेकर मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘नीम हकीम जान को खतरे में डाल देता है।’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड त्रासदी का मजाक बनाया और स्वतंत्रता संघर्ष का अपमान किया लेकिन विपक्ष के सवालों का उनके पास जवाब नहीं है।’ प्रधानमंत्री द्वारा संसद में राहुल पर चुटकी लेने के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष का बयान आया है। प्रधानमंत्री ने कल रात उत्तराखंड में भूकंप का जिक्र करते हुए कहा कि ‘अंतत: भूकम्प आ गया।’ कांग्रेस उपाध्यक्ष ने पिछले वर्ष दिसम्बर में कहा था कि प्रधानमंत्री के खिलाफ उनके पास कुछ सामग्री है और अगर वह संसद में बोलते हैं तो ‘भूकम्प’ आ जाएगा।
मोदी ने राहुल की टिप्पणी की तरफ संभवत: इशारा करते हुए लोकसभा में कहा, ‘अंतत: भूकम्प आ गया। मुझे आश्चर्य हुआ कि यह कैसे हो गया। मैंने इस खतरे के बारे में काफी पहले सुना था।’ प्रधानमंत्री के भाषण के लिए कांग्रेस ने भी उन पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि त्रासदी का उपहास कर वह उत्तराखंड की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं। पार्टी प्रवक्ता गौरव गोगोई ने कांग्रेस के संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम उत्तराखंड के लोगों के साथ हैं और उनके लिए प्रार्थना करते हैं। जब प्रधानमंत्री की भाषा व्यंगात्मक हो और भूकंप का मजाक उड़ाती हो तो सांसदों को महसूस हुआ कि प्रधानमंत्री उत्तराखंड की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं।’
The Prime Minister mocks the tragedy of Uttarakhand & insults the freedom struggle but has no answers to the opposition's questions pic.twitter.com/82Vd5yLhDM
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 7, 2017
नीम हकीम खतरा-ए-जान https://t.co/NAN2KJ3T1k
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 7, 2017
कुछ समय पहले राहुल गांधी ने कहा था कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है और जब मैं बोलूंगा तो भूकंप आ जायेगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी का फैसला अकेले और अचानक करने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस प्रकार का प्रस्ताव तब आया था जब इंदिराजी की सरकार थी और यशवंत राव चव्हाण उनके पास गए थे। तब इसे आगे इसलिए नहीं बढ़ाया गया क्योंकि आपको (कांग्रेस) चुनाव की चिंता थी। हमें चुनाव की चिंता नहीं है, हमारे लिये देशहित महत्वपूर्ण हैं।
