नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली सांसद राहुल गांधी तीन दिन के अमेरिका दौरे पर पहुंच गए हैं। रविवार को उनकी तरफ से सबसे पहले टेक्सास जाया गया जहां उन्होंने एक यूनिवर्सिटी में छात्रों से मुलाकात की, उनसे कई मुद्दों पर बातचीत हुई। उसी बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने भारत में बढ़ती बेरोजगारी, चीन की उत्पादन शक्ति और नफरत भरी राजनीति पर विस्तार से बात की।

अमेरिका में राहुल गांधी: भारत जोड़ो यात्रा पर बयान

राहुल गांधी ने दो टूक बोला कि देश में नफरत की राजनीति का माहौल है, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के जरिए मोहब्बत और भाईचारे की राजनीति शुरू की गई है। भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कांग्रेस नेता ने यह भी बताया कि देश को देखने का उनका नजरिया पूरी तरह बदल चुका है। इस बारे में वे बताते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा ने मेरे काम के प्रति सोचने के तरीके को मौलिक रूप से बदल दिया। मैं कहूंगा कि इसने राजनीति को देखने के मेरे नजरिए, हमारे लोगों को देखने के मेरे नजरिए, उनके साथ संवाद करने और उनकी बात सुनने के मेरे नजरिए को पूरी तरह से बदल दिया है। इस यात्रा में सिर्फ मैं ही नहीं, कई लोग शामिल थे।

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भारत जोड़ो यात्रा का राजनीति पर असर

कांग्रेस नेता आगे कहते हैं कि हम सभी के लिए सबसे शक्तिशाली चीज़ जो स्वाभाविक रूप से हुई, जिसकी हमने योजना भी नहीं बनाई थी, वह थी राजनीति में प्रेम के विचार का परिचय…यह अजीब बात है क्योंकि यदि आप अधिकांश देशों में राजनीतिक विमर्श को देखें तो आपको प्रेम शब्द कभी नहीं मिलेगा। आपको घृणा, क्रोध, अन्याय, भ्रष्टाचार ये सभी शब्द मिलेंगे लेकिन ‘प्रेम’ शब्द शायद ही कभी मिलेगा। भारत जोड़ो यात्रा ने वास्तव में उस विचार को भारतीय राजनीतिक प्रणाली में पेश किया।

चीन की बढ़ती ताकत पर राहुल गांधी

अब राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा पर तो बात की ही, इसके साथ-साथ चीन की बढ़ती ताकत का भी कई मौकों पर जिक्र किया। चीन को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि उस देश ने समय रहते अपने प्रोडक्शन पर ध्यान दिया, इसी वजह से वहां पर रोजगार की समस्या नहीं देखने को मिलती है। भारत में तो अभी भी ज्यादातर चीजें मेड इन चाइना ही हैं। चीन की इसी नीति ने उसे इतना सफल बनाने का काम किया है। अमेरिका की धरती से राहुल ने एक बार फिर कर्ज माफी का मुद्दा भी उठाने का काम किया।

कर्ज माफी पर राहुल की दो टूक

उनके मुताबिक भारत में सिर्फ 25 लोगों का 16 लाख करोड़ का कर्ज माफ कर दिया गया। इतने पैसों से कई बड़ी इंडस्ट्री खड़ी हो सकती थीं। राहुल यह भी मानते हैं कि जब उनकी तरफ से यह मुद्दा उठाया जाता है, जब वे कर्ज माफी की बात करते हैं तो मीडिया उन पर ही सवाल उठाने का कामकरती है। लेकिन जब 16 लाख करोड़ का कर्ज माफ होता है, कोई सवाल नहीं उठाया जाता।