कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने राजस्थान के उदयपुर में चल रहे पार्टी के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में शनिवार (16-मई-2022) को कहा कि पार्टी देश में अकेले ही भाजपा मुकाबला कर सकती है क्योंकि क्षेत्रीय दलों की न ही कोई विचारधारा और न ही कई केंद्रीय दृष्टिकोण है। वहीं, इसके साथ चिंतन शिविर के तीसरे और आखिरी दिन कांग्रेस पार्टी की ओर से कहा गया कि राजनीतिक परिस्थिति को देखते हुए, पार्टी ने गठबंधन के दरवाजे खुले रखे हैं।

राहुल ने भाषण देते हुए कहा कि देश में कांग्रेस और भाजपा/आरएसएस के बीच एक विचारधारा की लड़ाई चल रही है, जिसे कोई भी क्षेत्रीय दल नहीं लड़ सकता है।

राहुल ने आगे कहा कि “कांग्रेस की जिम्मेदारी है कि देश की संस्थाओं को बचाया जाए और विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच और उन राज्यों के बीच बातचीत को फिर से शुरू कराया जाए, जिन्हें भाजपा सरकार तोड़ने की कोशिश कर रही है।” इसके साथ राहुल ने कहा कि “यह कोई क्षेत्रीय दल नहीं करने वाला है। क्षेत्रीय दल हमेशा किसी विशेष जाति से ताल्लुक रखते हैं। वे सभी का प्रतिनिधित्व भी नहीं करते हैं।”

दूसरी तरफ पार्टी की ओर से उदयपुर में चिंतन शिविर के आखिरी दिन घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी अपने दम पर और अपने संगठन की ताकत के बल पर लोगों के बीच पैठ बना सकती है और जमीन तैयार कर सकती है। पार्टी राष्ट्रीय हित और लोकतंत्र को बचाने के लिए समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों से बातचीत करने और संपर्क स्थापित करने के लिय प्रतिबद्ध है…. और राजनीतिक परिस्थिति के अनुसार जहां भी जरूरत होगी, वहां गठबंधन के लिए विकल्प खुला रखा है।

इसके साथ पार्टी की ओर से कहा गया कि पार्टी को सभी सामाजिक, सांस्कृतिक, गैर सरकारी संगठनों, ट्रेड यूनियनों, थिंक-टैंक और एनजीओ के साथ जोड़ा जाएगा और संपर्क स्थापित किया जाएगा।

अगर चिंतन शिविर की बात करें, तो गठबंधन के मुद्दे पर पार्टी नेताओं के विचार आपस में मेल नहीं खा रहे थे। कुछ नेताओं का मानना है कि हमें गठबंधन के विकल्प को खुला रखना चाहिए जबकि कुछ का मानना है कि कई राज्यों में गठबंधन के कारण पार्टी को काफी नुकसान हुआ है। इस कारण अब पार्टी को अकेले ही चुनाव लड़ना चाहिए जो राहुल गांधी के भाषण और पार्टी की घोषणा में भी दिखा।