संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार को जाति जनगणना के सवाल पर घेरने का प्रयास किया। उन्होंने X पर एक पोस्ट कर कहा कि सरकार के पास इसको लेकर न कोई ठोस रूपरेखा है, न समयबद्ध योजना, न संसद में चर्चा, और न ही जनता से संवाद।
उन्होंने X पर अपने पोस्ट के साथ संसद में उनके द्वारा उठाए गए सवालों और सरकार के जवाब की फोटो पोस्ट करते हुए कहा, “संसद में मैंने सरकार से जाति जनगणना पर सवाल पूछा – उनका जवाब चौंकाने वाला है। न ठोस रूपरेखा, न समयबद्ध योजना, न संसद में चर्चा, और न ही जनता से संवाद। दूसरे राज्यों की सफल जाति जनगणनाओं की रणनीति से सीखने की कोई इच्छा भी नहीं। मोदी सरकार की यह जाति जनगणना देश के बहुजनों के साथ खुला विश्वासघात है।”
जाति जनगणना को लेकर राहुल गांधी ने क्या सवाल किए थे?
- दशकीय जनगणना की तैयारी के लिए प्रमुख प्रक्रियात्मक कदमों का ब्यौरा और संभावित समयसीमा क्या है, जिसमें प्रश्नों की तैयारी, कार्यक्रम निर्धारण करना शामिल है;
- क्या सरकार का जनगणना के सवालों का प्रारूप प्रकाशित करने और इन सवालों पर जनता या जनप्रतिनिधियों से इनपुट लेने का कोई प्रस्ताव है?
- क्या सरकार अलग-अलग राज्यों में किए गए जाति सर्वेक्षण समेत पिछले अनुभवों पर विचार कर रही है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?
गृह मंंत्रालय की तरफ से गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिया यह जवाब
- जनगणना 2027 दो चरणों में की जाएगी, अर्थात् चरण 1 – मकान सूचीकरण तथा मकानों की गणना, जो अप्रैल से सितंबर 2026 में 30 दिनों की अवधि में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों की सुविधा के अनुसार की जाएगी, इसके बाद चरण 2 – जनसंख्या गणना (PE) होगी। जनसंख्या गणना फरवरी 2027 के दौरान होगी जिसकी संदर्भ तिथि 1 मार्च, 2027 को 00:00 बजे होगी सिवाय संघ राज्यक्षेत्र लद्दाख और संघ राज्यक्षेत्र जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड राज्यों के हिमाच्छादित असमर्थनीय क्षेत्रों में, जहाँ जनसंख्या गणना सितंबर 2026 के दौरान होगी जिसकी संदर्भ तिथि अक्टूबर, 2026 के पहले दिन के 00:00 बजे होगी।
- जनगणना प्रपत्रावली को प्रत्येक जनगणना से पहले विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, संगठनों और जनगणना डेटा उपयोगकर्ताओं आदि से प्राप्त सुझावों/इनपुट के आधार पर अंतिम रूप दिया जाता है। प्रारूपित जनगणना प्रपत्रावली को अंतिम रूप देने से पहले उनकी व्यवहारिकता का मूल्यांकन करने के लिए क्षेत्र में पूर्व-परीक्षण किया जाता है। जनगणना नियम, 1990 के नियम 6 के अनुसार, जनगणना प्रपत्रावली केंद्र सरकार द्वारा अधिनियम की धारा 8 की उपधारा (1) के तहत अधिकृत राजपत्र के माध्यम से अधिसूचित की जाती है।
- जनगणना का 150 वर्षों से अधिक का इतिहास है। अगली जनगणना के लिए पिछली जनगणनाओं से प्राप्त अनुभवों को ध्यान में रखा जाता है। प्रत्येक जनगणना से पहले संबंधित हितधारकों से भी सुझाव लिए जाते हैं।
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