केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज फ्रांस में पहले राफेल फाइटर जेट की डिलीवरी ली। हालांकि भारतीय आसमान में राफेल जेट मई 2020 तक ही दिखाई दे सकेगा। बता दें कि भारतीय वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने बीते दिनों कहा था कि राफेल का भारतीय वायुसेना में शामिल होना गेम चेंजर साबित होगा। बता दें कि भारत का अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ तनाव जगजाहिर है। ऐसे में राफेल के आ जाने से भारतीय वायुसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा। हालांकि इस मामले में हम चीन से अभी भी काफी पीछे हैं।

क्या है राफेल की खासियत?: राफेल शब्द का अर्थ आंधी से है। दो इंजन वाले इस फाइटर जेट को फ्रांस की फाइटर जेट निर्माता कंपनी दसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाया गया है। यह फाइटर प्लेन चौथी पीढ़ी का प्लेन है। राफेल से लंबी दूरी तक मार की जा सकती है और खास बात ये है कि राफेल विमान नेवी के लिए भी कारगर साबित हो सकता है।

राफेल, स्टील्थ तकनीक से लैस है, जो कि रडार सिस्टम को भी चकमा देने में सक्षम है। राफेल विमान 1.8 मैक (2,222 किलोमीटर प्रतिघंटे) की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। यह विमान 50,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है। यह विमान हवा के बीच में ही फ्यूल भरने में सक्षम है। राफेल 9500 किलो विस्फोटक ले जा सकता है। मिराज 2000 और सुखोई-30 एमकेआई के बाद अब राफेल फाइटर जेट के आने से भारतीय वायुसेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी।

पाकिस्तानी वायु सेना के साथ भारतीय वायुसेना की तुलना की बात करें तो पाकिस्तान के पास अमेरिका में निर्मित मल्टीरोल फाइटर जेट एफ-16 हैं, लेकिन उनकी टक्कर के मिराज-2000 भारत के पास पहले से मौजूद हैं। अब राफेल के आ जाने से भारतीय वायुसेना को पाकिस्तान पर बढ़त मिल जाएगी।

इनके अलावा भारत में विकसित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस भी जल्द ही भारतीय वायुसेना में शामिल होने जा रहा है। फिलहाल अभी तेजस एयरक्राफ्ट के परीक्षण चल रहे हैं। तेजस भी चौथी पीढ़ी के फाइटर जेट हैं। इनसे भी वायुसेना को मजबूती मिलेगी। बता दें कि फ्रांस, इजिप्ट और कतर के बाद भारत दुनिया का सिर्फ चौथा देश है, जिसके पास राफेल विमान होगा।

बता दें कि भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा साल 2016 में हुआ था। राफेल को वायुसेना में शामिल करने की सभी तैयारियां जैसे परीक्षण, पायलट्स की ट्रेनिंग आदि पूरी हो चुकी हैं। ऐसी खबरें हैं कि राफेल जेट की पहली स्वॉड्रन पंजाब के अंबाला एयरबेस पर तैनात की जाएगी। वहीं दूसरी स्कवॉड्रन पश्चिम बंगाल के हासिमारा एयरबेस पर तैनात की जाएगी।