रफाल डील पर आज (14 नवंबर) सुप्रीम कोर्ट में पांच घंटे तक सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की तीन सदस्यीय खंडपीठ में मामले में सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। पीठ ने आज वायु सेना के अधिकारी को भी बुलाया था ताकि उसका पक्ष सुना जा सके। इस दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को रफाल विमान की खूबियां बताईं और कहा कि अगर यह करगिल युद्ध के दौरान भारत के पास होता तो कई सैनिकों की जान बचाई जा सकती थी। वेणुगोपाल ने कहा कि रफाल जेट 60 किलोमीटर तक मार कर सकता है। तभी सीजेआई रंजन गोगोई ने अटॉर्नी जनरल को टोका और कहा, “मिस्टर अटॉर्नी.. करगिल युद्ध 1999-2000 में हुआ था और रफाल 2014 में आया है। इस तरह का बयान मत दीजिए।” सीजेआई के इस बयान से अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल मुस्कुरा पड़े। उन्होंने कहा कि वो तो संकल्पना के आधार पर ऐसा कह रहे थे।

अटॉर्नी जनरल की दलीलों से एयर फोर्स के अधिकारियों ने भी अपनी सहमति जताई। सुप्रीम कोर्ट ने एयर फोर्स अधिकारियों से सवाल-जवाब के बाद उन्हें कोर्ट से जाने की इजाजत दे दी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तलब किए जाने के बाद एक एयर मार्शल और 4 वाइस एयरमार्शल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण सरकार से रफाल की कीमतों का खुलासा करने की मांग कर रहे थे। तभी सीजेआई ने उन्हें तल्ख अंदाज में नसीहत दी कि केस के लिए जितना जरूरी हो, उतना ही बोलें। इससे प्रशांत भूषण थोड़ी देर के लिए असहज हो गए।

बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रफाल डील की जांच सीबीआई से कराने और उसे रद्द करने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ऐडवोकेट एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार द्वारा दाखिल की गई जानकारी से खुलासा हुआ है कि मई 2015 के बाद रफाल खरीद से जुड़े फैसला लेने की प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ी की गई है। याचिकाकर्ता ने पांच जजों की संवैधानिक पीठ के सामने मामला सुने जाने की मांग की है।