राफेल डील विवाद को लेकर दसॉ एविएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने मंगलवार (13 नवंबर) को कहा है कि वह कंपनी के सीईओ हैं और उस पद पर वह झूठ नहीं बोल सकते। डील के लिए अंबानी का नाम उन्होंने चुना था। यह खुलासा उन्होंने फ्रांस के ली ट्यूब एयरबेस में समाचार एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार में किया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर उन्होंने स्पष्ट किया, “मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं। मैं पहले भी सच बता चुका हूं। मैंने जो बयान दिए हैं, वह सही हैं। मैंने कभी भी झूठ नहीं बोला है। आप सीईओ जैसे पद पर रहकर झूठ नहीं बोल सकते हैं।”
बकौल ट्रैपियर, “अंबानी को चुनने का फैसला हमारा था। रिलायंस के अलावा हमारे पास 30 अन्य साझेदार हैं। भारतीय वायु सेना (आईएएफ) इस डील का समर्थन कर रही थी, क्योंकि उन्होंने अपने रक्षा बेड़े को मजबूत बनाने के लिए साझो-सामान की जरूरत थी।” यहां देखिए पूरा इंटरव्यू-
#WATCH: ANI editor Smita Prakash interviews CEO Eric Trappier at the Dassault aviation hangar in Istre- Le Tube air… https://t.co/0igomqmE2i
— ANI (@ANI) November 13, 2018
एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश को ट्रेपियर ने बताया, “आप जब 18 विमानों से तुलना करेंगे, तो आपको 36 विमानों की कीमत बराबर मिलेगी। 36, 18 का दोगुना होता है। जहां तक मुझे पता है, कीमतें दोगुनी की गई होंगी। पर यह सरकार से सरकार की डील थी, लिहाजा इसमें कोई मोल-तोल नहीं हुआ। हालांकि, मुझे नौ फीसदी कीमतें गिरानी पड़ी थीं।”
दसॉ के सीईओ के अनुसार, “हम रिलायंस में पैसा नहीं लगा रहे। रकम जेवी (दसॉल्ट-रिलायंस) में जा रही है। दसॉ के इंजीनियर और बाकी कर्मचारी अपने काम में बखूबी जुटे हुए हैं। कांग्रेस के साथ मेरा पुराना अनुभव रहा है। हमारी पहली डील भारत के साथ 1953 (पं.जवाहर लाल नेहरू के दौर) में हुई थी। बाद में और लोग पीएम बने। हम किसी पार्टी विशेष के लिए नहीं काम कर रहे, बल्कि हम तो भारत सरकार और आईएएफ को रक्षा उपकरण मुहैया करा रहे हैं। यही चीज हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है।”
जानिए, राफेल डील के दामों को लेकर दसॉ एविएशन के सीईओ ने क्या कहा-
#WATCH Dassault CEO Eric Trappier clarifies on the pricing of the #Rafale aircrft pic.twitter.com/E21EumrQAt
— ANI (@ANI) November 13, 2018
ट्रैपियर ने दावा किया कि उन्होंने पिछले साल जेवी को तैयार किया, पर वह 2012 में उनके कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा था। उन्हें कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर के लिए इंतजार करना पड़ा। उन्होंने इस कंपनी में मिलकर 800 करोड़ रुपए (50-50) का निवेश किया। जेवी में 49 फीसदी दसॉ के शेयर हैं, जबकि रिलायंस के हिस्से में 51 फीसदी शेयर आते हैं। इंटरव्यू में ट्रेपियर बोले कि कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार, अगले साल सितंबर में राफेल की पहली डिलीवरी होगी। वह अपने तय समय पर होगी।


उधर, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस इंटरव्यू को झूठा और गढ़ा हुआ बताया। ट्वीट कर वह बोले- ऐसे कहलवाए गए और झूठों से गढ़े गए साक्षात्कारों से राफेल डील छिपने नहीं वाली। बता दें कि मुख्य विपक्षी दल ने सत्तारूढ़ एनडीए सरकार पर राफेल डील में घोटाला करने का आरोप लगाया है। साथ ही दावा किया कि मोदी सरकार ने प्रत्येक विमान को तकरीबन 1670 करोड़ रुपए में खरीदा, जबकि यूपीए के दौर में इन विमानों पर बातचीत हुई थी, तब विमानों का दाम 526 करोड़ रुपए था।