रक्षा मामलों पर हुई संसदीय स्थाई समिति की बैठक में सोमवार (15 अक्टूबर) को राफेल विमान डील का मुद्दा छाया रहा। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेसी नेताओं ने इसमें कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर दी गई याचिका पर सुनवाई कर रहा है तो संसद की स्थाई समिति को भी इस मसले पर चर्चा करनी चाहिए, क्योंकि इस डील में रक्षा प्रबंध संबंधी प्रक्रियाएं और अहम चीजें शामिल हैं।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के देवरिया से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्रा इस समिति के मौजूदा अध्यक्ष हैं। सूत्रों के हवाले से ‘ईटी’ की रिपोर्ट में बताया गया कि उनकी अध्यक्षता में हुई समिति की पहली बैठक में कांग्रेसी नेता अंबिका सोनी, मधुसूदन मिस्त्री और गौरव गोगोई ने राफेल डील का जिक्र छेड़ा, जिस पर बीजेपी के सांसद विरोध में उतर आए।
मिश्रा भी उस दौरान राफेल के मसले पर पर्दा डालते नजर आए। वह बोले, “हमारी समिति उन मामलों पर चर्चा नहीं करती, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा और गोपनीयता से जुड़े होते हैं।”
कांग्रेस की ओर से इसके बाद मिस्त्री ने सुप्रीम कोर्ट की उस बात का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने सरकार से बंद लिफाफे में राफेल डील पर ‘डिसीजन मेकिंग प्रोसेस’ का ब्यौरा जमा करने को कहा था। बीजेपी सांसदों के विरोध पर उतरने के बाद सोनी ने हस्तक्षेप किया। वह बोलीं कि समिति में इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
महिला नेता ने इसके अलावा बल देते हुए कहा, “यह समिति इतनी सशक्त है कि रक्षा संबंधी मामलों में दखल दे सकती है, जिसमें भारतीय वायु सेना की जहाजों के बेड़े की क्षमता और डिफेंस प्रोडक्शंस में हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड सरीखे पीएसयू (पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग) की भूमिका शामिल है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि गोगोई समेत कांग्रेसी सांसदों ने कहा कि समिति यह भी जांचे कि पीएसयू द्वारा कितना रक्षा संबंधी क्षेत्र के लिए चीजें तैयार की गईं। उन्होंने इसके अलावा उन मीडिया रिपोर्ट्स का भी जिक्र किया, जिनमें लगातार निजी कंपनियों का हवाला दिया जाता है और हाल-फिलहाल के रक्षा संबंधी खरीद-फरोख्त का ब्यौरा होता है।