दुनिया के देशों के बीच स्पेस स्टेशन स्थापित करने की होड़ मची है। रूस अपने स्पेस स्टेशन का निर्माण कर रहा है। चीन भी इस काम में जुटा हुआ है। कई निजी कंपनियां भी स्पेस स्टेशन स्थापित करने की होड़ में शामिल हैं। नासा और इसके संचालकों ने अमेरिकी सरकार से वादा किया है कि 2030 तक आइएसएस काम करता रहेगा। नासा ने जनवरी महीने में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें रूस को अभी भी आइएसएस के प्रमुख भागीदार के तौर पर बताया गया था। हालांकि, इस समय तक रूस ने यूक्रेन पर हमला नहीं किया था।

वर्ष 2030 के बाद उन अंतरिक्ष कार्यक्रमों को निजी क्षेत्र के प्लेटफार्म पर संचालित किया जाएगा, जिन्हें आज के समय में आइएसएस की मदद से किया जाता है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि स्पेस एक्स, एग्जिओम, ब्लू ओरिजिन, नैनोरैक्स और नार्थरोप ग्रुमान जैसी कंपनियां नासा की मदद से तथाकथित व्यावसायिक लो अर्थ आर्बिट डेस्टिनेशंस का निर्माण करेंगी। नासा ने अपने एक बयान में कहा है कि एक या उससे ज्यादा व्यावसायिक स्वामित्व और संचालन वाले स्पेस स्टेशन आइएसएस की जगह ले सकते हैं।

इसके बाद 2031 में आइएसएस को नियंत्रित तरीके से पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा और प्रशांत महासागर के एक निर्जन इलाके में उतारा जाएगा। इस इलाके को स्पेसक्राफ्ट सिमेट्री यानी स्पेसक्राफ्ट की कब्रगाह नाम दिया गया है। इसे प्वाइंट नीमो के नाम से भी जाना जाता है। यहां पहले भी कई अन्य स्पेस स्टेशन और राकेट गिराए गए हैं। यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद गैस और अनाज के साथ-साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) को लेकर भी दुनिया भर में राजनीतिक बयानबाजी बढ़ गई है।

फरवरी 2022 की शुरुआत में, रूस की स्पेस एजंसी रोसकोसमोस के तत्कालीन निदेशक दिमित्री रोगोजिन ने अंतरिक्ष में अमेरिका और यूरोप के साथ सहयोग से जुड़े खतरों के अलावा अंतरराष्ट्रीय खेल और आर्थिक प्रतिबंधों का जवाब दिया था। एक के बाद एक ट्वीट करते हुए रोगोजिन ने कहा था कि यूरोप, एशिया और अमेरिका अंतरिक्ष में रूस के सहयोग के बिना नहीं टिक सकते। उन्होंने कहा, अगर आप हमारी सहायता करना बंद कर देते हैं, तो आइएसएस को अनियंत्रित होने और उसे अमेरिका या यूरोप में गिरने से कौन बचाएगा? आइएसएस भारत या चीन में भी गिर सकता है। क्या आप इन संभावनाओं के आधार पर उन्हें डराना चाहते हैं? आइएसएस रूस के ऊपर से उड़ान नहीं भरता, इसलिए खतरा आपके ऊपर है।

रोगोजिन ने एक बार नहीं, बल्कि कई बार यह बात दुहराई कि रूस अपनी मर्जी से अंतरिक्ष वाली साझेदारी से बाहर निकलेगा। जुलाई में रोगोजिन को उनके पद से हटा दिया गया। उन्हें पद से हटाने के कुछ घंटे बाद अमेरिका और रूस ने अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजने के लिए एक-दूसरे के ठिकानों का इस्तेमाल करने से जुड़े समझौते की घोषणा की थी। इसके बाद रूसी स्पेस एजंसी के नए निदेशक यूरी बोरिसोव ने रोगोजिन की धमकियों को दोहराया। साथ ही, उन्होंने पुष्टि की कि रूस वास्तव में 2024 के बाद आइएसएस के साथ अपना सहयोग समाप्त कर देगा।

बोरिसोव की टिप्पणी हैरान करने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि फैसला लिया जा चुका है कि 2024 के बाद आइएसएस के साथ अपना सहयोग खत्म कर देंगे। उस समय तक हम रूसी आर्बिटिंग स्टेशन बनाना शुरू कर देंगे। रूस की स्पेस स्टेशन बनाने की योजना नई नहीं है। यह बात एक साल पहले ही सार्वजनिक तौर पर जाहिर की गई थी। अप्रैल 2021 में तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री के तौर पर बोरिसोव ने दो दशक से कक्षा में मौजूद आइएसएस की स्थिति पर दुख जताते हुए स्पेस स्टेशन बनाने का विचार सामने रखा था। इसके बाद अप्रैल 2022 में रोगोजिन ने कहा था कि रूस के एनर्जिया स्पेस राकेट कारपोरेशन को पहला माड्यूल बनाने का काम सौंपा गया है। इसे 2025 तक लांच करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

वहीं, इन सब वजहों को देखते हुए चीन भी एक नया स्पेस स्टेशन बना रहा है। अमेरिकी कंपनी स्पेस एक्स चाहती है कि वह आइएसएस के भविष्य की रक्षा में अहम भूमिका निभाए। इस व्यावसायिक फर्म और नासा के बीच पहले ही समझौता हो चुका है। समझौते के मुताबिक, स्पेस एक्स आइएसएस के लिए जरूरी चीजों की आपूर्ति करने के साथ-साथ लोगों को भी वहां ले जाएगा।

वहीं, एग्जिओम ने आइएसएस पर पहला प्राइवेट क्रू ले जाने के लिए समझौता किया था। अब एग्जिओम ने भी अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की बात कही है। साथ ही, यह अपनी परियोजना के लिए उड़ान भरने वाले प्लेटफार्म के तौर पर आइएसएस का इस्तेमाल करना चाहता है।