केंद्र सरकार ने 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी सामंत गोयल को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) प्रमुख नियुक्त किया है। गोयल मौजूदा रॉ चीफ अनिल कुमार धस्माना की जगह लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) द्वारा उनके नाम को मंजूरी दे दी गई है। लेकिन उनकी नियुक्ति पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
गोयल की नियुक्ति रॉ में उनसे वरिष्ठ 1984 बैच के आरएएस अधिकारी आर कुमार को नजरअंदाज कर हुई है। पाकिस्तान के खिलाफ इस साल फरवरी में की गई बालाकोट एयरस्ट्राइक में कुमार ने काफी अहम भूमिका अदा की थी। वह फिलहाल रॉ में पाकिस्तान काउंटर टेररिज्म डेस्क के इंचार्ज हैं।
वहीं गोयल ने यूरोप में भारत के खिलाफ चल रहे खालिस्तानी प्रोपगेंडा पर एक्शन लेने में अहम रोल अदा किया था। गोयल को पाकिस्तानी आतंकियों के बारे में गहरी जानकारी और काउंटर टेरर ऑपरेशन में एक्सपर्ट माना जाता है। माना जा रहा है कि गोयल का इन बातों पर खरा उतरना ही उन्हें इस पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार बनाता है।
2007 से आईपीएस अधिकारी ही बन रहा रॉ प्रमुख: साल 2007 से अबतक जितने भी रॉ प्रमुख नियुक्त किए गए हैं वह आईपीएस अधिकारी रहे हैं। माना जा रहा है कि 2007 से चले आ रहे इस ट्रेंड को एकबार फिर से फॉलो किया गया। इस ट्रेंड की अनुभवी खुफिया अधिकारियों द्वारा हमेशा से आलोचना की जाती रही है।
एनडीटीवी की एक खबर के मुताबिक, एक आईपीएस अधिकारी को फिर से प्रमुख बनाये जाने पर अन्य अधिकारियों के बीच खुशी नहीं है। कैबिनेट सचिवालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘गोयल को रॉ प्रमुख बनाया गया है। उन्होंने रॉ और आरएएस के अपने सीनियर को पीछे छोड़ते हुए यह पद पाया है। वह खुद 1984 बैच के अधिकारी हैं और सरकार ने उनका चुनाव करके साफ कर दिया है कि उन्हें उच्च पद पर आईपीएस चाहिए, आरएएस नहीं चाहिए।’
अरविंद कुमार की नियुक्ति पर विरोधाभास नहीं: वहीं दूसरी तरफ इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) प्रमुख बने 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार की नियुक्ति पर किसी तरह का विरोधाभास नहीं है। क्योंकि आईबी में वह 1984 बैच के अकेले आईपीएस अधिकारी हैं। बता दें कि अरविंद कुमार को कश्मीर मामलों का जानकार माना जाता है। इसके साथ ही वह नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ भी अहम रणनीतियां बनाने के लिए जाने जाते हैं। वह मौजूदा आईबी चीफ राजीव जैन की जगह लेंगे। एनडीटीवी के मुताबिक, आईबी में ज्यादातर अधिकारी उनकी नियुक्ति से खुश हैं क्योंकि अरविंद ने तमाम चुनौतियों का सामना किया है, तकनीक और सुरक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान कभी नहीं भुलाया जाएगा। वहीं आईबी पूर्व डायरेक्टर ने कहा कि वह एक पुराने अधिकारी हैं। एजेंसी में उनका सालों का अनुभव रहा है। वह पटना स्टेट इंटेलीजेंस के भी प्रमुख रह चुके हैं।