दिल्ली विधानसभा ने अपने कार्यक्षेत्र से अलग जाकर हाल ही में दो ऐसे मामले याचिका कमेटी के पास भेजे हैं, जो पहले ही से न्यायिक हैं। इन दोनों मामलों में एक मामला दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और एसीबी प्रमुख मुकेश कुमार मीणा का और दूसरा एमएम खान की हत्या से जुड़ा है। दोनों ही मामलों में दिल्ली सरकार के विधि विभाग को अपना पक्ष अभी रखना है। दिल्ली विधानसभा के नियम 201 के अनुसार याचिका कमेटी किसी भी ऐसे मामले पर सुनवाई नहीं कर सकती है, जो मामले किसी अदालत में, या किसी वैधानिक न्यायाधिकरण या फिर किसी आयोग के समक्ष लंबित हों।

दिल्ली विधानसभा के गठन के बाद पहली बार दो मामले याचिका कमेटी के समक्ष भेजे गए हैं। हाल ही में विधानसभा क ा तीन दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था। जिसमें तीनों दिन सत्ता पक्ष के विधायकों ने नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के अधिकारी एमएम खान की हत्या से जुड़ा मामला उठाया। उन्होंने मामले में पुलिस पर एनडीएमसी के उपाध्यक्ष करण सिंह तंवर की जांच नहीं करने का आरोप भी लगाया। हालांकि, दिल्ली पुलिस की तरफ से भाजपा नेता तंवर को क्लीन चिट मिल चुकी है।

कहा जा रहा है कि मामला अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारी का है। इसलिए भाजपा पर आरोप लगाकर अल्पसंख्यकों की भावनाएं जीती जा सकती थीं, जिसका लाभ आप को चुनाव के दौरान मिलता। लिहाजा मामले को दिल्ली विधानसभा की याचिका कमेटी के पास भेज दिया गया। इस कमेटी की अध्यक्ष विधानसभा की उपाध्यक्ष राखी बिड़लान हैं।
आप की विवादास्पद याचिकाएं
एक विवादास्पद मामला 2014 में विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने याचिका कमेटी को भेजा था। उस वक्त भी दिल्ली में आप की सरकार थी और उसका कार्यकाल 49 दिनों का था। आप की ओर से चार मामलों को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में दर्ज करने भेजा गया था। एक मामला रिलायंस के केजी बेसिन से जुड़ा था। दिल्ली सरकार ने इस मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के खिलाफ मामला दर्ज करने को कहा था।

दूसरा मामला राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ा था। इस मामले में केजरीवाल सरकार ने एसीबी से पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ मामला दर्ज करने को कहा था। वे मामले में आगे बढ़ पाते उससे पहले केजरीवाल ने सत्ता से इस्तीफा दे दिया। तीसरा मामला कथित टैंकर घोटाले से जुड़ा है। मामला एसीबी की ओर से दर्ज किया गया। जिसके बाद केजरीवाल सरकार अपने राजनीतिक दुश्मनों के खिलाफ हरकत में आ गई। मंगलवार को आप के 12 विधायक दो साल पहले के दो मामलों को लेकर उपराज्यपाल नजीब जंग से मिलने पहुंच गए। इन विधायकों ने उनसे मिलने का समय पहले से नहीं लिया था। लिहाजा मुलाकात नहीं हो सकी। उसके बाद उन सभी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल से मुलाकात कर दो साल पहले के उन दो मामलों के बारे में बताया, जो उनकी सरकार ने जांच के लिए एसीबी के पास भेजे थे। आप विधायकों का आरोप है कि नजीबजंग और एसीबी चीफ ने उन दोनों मामलों पर कार्रवाई नहीं होने दी। आप विधायकों की गुजारिश पर रामनिवास ने दोनों मामले याचिका कमेटी को भेज दिए।

समन और याचिका पर उठे सवाल
याचिका कमेटी की अध्यक्ष राखी बिड़लान ने गुरुवार को मीडिया से कहा कि वे उन दोनों मामलों में नजीब जंग व दिल्ली एसीबी चीफ मुकेश कुमार मीणा को समन भेजकर याचिका कमेटी के समक्ष बुलाएंगी। याचिका कमेटी की ओर से इस बारे में किए गए फैसले के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस कमेटी के पास उपराज्यपाल व एसीबी चीफ को बुलाने का अधिकार है भी या नहीं। विधानसभा की याचिका कमेटी के पास मौजूदा दोनों मामले में सुनवाई नहीं कर सकता है। दोनों ही मामले याचिका कमेटी के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। एमएम खान का मामला अदालत में है। दूसरा मामला रिलायंस का है जिसमें एसीबी चीफ मुकेश कुमार मीणा का कहना है कि रिलायंस से जुड़े मामलें में जो कागज कंपनी ने जमा किए हैं, उस पर फिलहाल जांच जारी है।