महेश केजरीवाल

यूपी सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस के सफाया होने के बाद राहुल और प्रियंका गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। कांग्रेस शासित पंजाब भी हाथ से फिसलने के बाद पार्टी के भविष्य को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही है। पांच राज्यों में से चार पर भाजपा और एक पर आप की बढ़त ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गुरुवार को शुरुआती रुझानों के बाद कांग्रेस खेमे में खामोशी दिखी। इसके बाद पंजाब में कांग्रेस के दिग्गजों को झटके लगने से और बेचैनी बढ़ा दी। पिछले कई महीने से विशेषकर पंजाब और उत्तराखंड में चल रही गुटबाजी आखिरकार पार्टी को ले डूबी।

यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणीपुर से लेकर गोवा में बेहतर प्रदर्शन की किरण नजर नहीं आई। खासकर यूपी और पंजाब में पार्टी बुरी तरह नाकाम होती दिखी। देश की सबसे पुरानी पार्टी के चुनावी प्रदर्शन की सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के यूपी में पार्टी की कमान संभालने के बावजूद राज्य में कांग्रेस का मत फीसद आधा रह गया। इस बार पार्टी यूपी में तीन फीसद मत हासिल करने में नाकाम रही है। यह स्थ्ािित तब थी जब प्रियंका के नेतृत्व में लड़की हूं लड़ सकती है नारे का अभियान चला गया। और चुनाव में महिलाओं को 40 फीसद टिकट दिया गया।

पंजाब जहां कांग्रेस सत्ता में थी, वहां भी पार्टी का मत फीसद 2017 में 38.5 फीसद से गिर कर 2022 में 23.3 फीसद हो गया है। इसके अतिरिक्त 2017 में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी कांग्रेस गोवा और मणिपुर में दूसरे पायदान पर खिसकने से पार्टी के मत फीसद में भी गिरावट आई है। मणिपुर में कांग्रेस का वोट मत फीसद 2017 में 35.1 फीसद था, 2022 में आधा होकर 17 फीसद रह गया। इसके साथ ही कांग्रेस के गठबंधन सहयोगी दलों के लिए नुकसान साबित हुआ।पंजाब में लोग लंबे समय से बेरोजगारी और महंगाई से लेकर जूझ रहे थे और इस बार विकल्प की तलाश में थे। जिसका परिणाम नई पार्टी आप को मिला।