देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हुई नियुक्ति में अनियमितता का एक मामला सामने आया है। विश्वविद्यालय ने एक ऐसे उम्मीदवार की नियुक्ति की है, जिसका नाम साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने वाले उम्मीदवारों की सूची में था ही नहीं। बावजूद इसके विश्वविद्याल ने उसकी नियुक्ति कर दी।

देश के सबसे प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सामाजिक विज्ञान संस्थान के मीडिया अध्ययन केंद्र (सीएमएस) में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर एक ऐसे उम्मीदवार की नियुक्ति हुई है, जिसका नाम साक्षात्कार के लिए 30 जून को जारी अंतिम सूची में नहीं था। इस सूची में 13 उम्मीदवारों के नाम थे। अब इन्हीं में से एक उम्मीदवार इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को शिकायत करने जा रहे हैं।

इस संबंध में इस संवाददाता ने जेएनयू के कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार और रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार से पूरे मामले पर उनका पक्ष जानने के लिए दूरभाष के जरिए संपर्क करने की कोशिश की मगर संपर्क हो नहीं सका।
साक्षात्कार देने वाले एक उम्मीदवार ने बताया कि जेएनयू के सीएमएस में एसोसिएट पद (विज्ञापन संख्या आरसी/61/2019) पर डॉक्टर शुचि यादव की नियुक्ति हुई है जबकि उनका नाम साक्षात्कार के लिए 30 जून को जारी अंतिम सूची में नहीं था।

उन्होंने बताया कि सीएमएस में एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए 16 जुलाई को जेएनयू परिसर में मौजूद प्रशासनिक खंड में साक्षात्कार हुए। सभी उम्मीदवारों ने ‘जूम’ के जरिए साक्षात्कार दिया। साक्षात्कार लेने वालों में जेएनयू के कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार मौजूद थे।

प्रोफेसर कुमार के अलावा बोर्ड में प्रोफेसर अनिल के राय अंकित (प्रोफेसर, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा), संजय द्विवेदी (महानिदेशक, भारतीय जन संचार संस्थान, दिल्ली), प्रोफेसर हीरामन तिवारी (सीएमएस, जेएनयू) और बीके कुठियाला (पूर्व कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल) भी मौजूद थे।

उम्मीदवार का आरोप है कि डॉक्टर शुचि यादव की नियुक्ति के पीछे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के किसी बड़े अधिकारी का हस्तक्षेप रहा है। इस उम्मीदवार के मुताबिक डॉक्टर शुचि यादव ने इतिहास में पर एमए, एमफिल और पीएचडी की है। इसके अलावा वे 2014 से नोएडा के एक निजी विश्वविद्यालय में पढ़ा रही थीं। उम्मीदवार ने बताया कि यूजीसी के 2018 में जारी नियुक्ति विनियमन के मुताबिक एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए उम्मीदवार को कम से कम आठ साल का सहायक प्रोफेसर पद का अनुभव होना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि डॉक्टर यादव को आठ साल का अनुभव नहीं होने पर भी नियुक्ति कैसे मिल गई।

साक्षात्कार की अंतिम सूची में शामिल उम्मीदवार
डॉक्टर कृतिका सुब्रह्मण्यम
डॉक्टर बच्चा बाबू
डॉक्टर आकांक्षा शुक्ला
डॉक्टर अंजनी कुमार झा
डॉक्टर ताशा सिंह परिहार
डॉक्टर रचना शर्मा
डॉक्टर शिजू सैम वर्गीज
डॉक्टर संजय सिंह बघेल
डॉक्टर मधु बाबू जंगीली
डॉक्टर उमा शंकर पांडेय
डॉक्टर वर्तिका नंदा
डॉक्टर सुजित कुमार पारयिल
डॉक्टर संतेश कुमार सिंह