Lok Sabha Election 2019: पंजाब के एक गांव ने चुनावों का बायकाट करने का फैसला किया है। दरअसल गांव के लोग पिछले वादे पूरे ना किए जाने से नाराज हैं और यही वजह है कि उन्होंने चुनाव का बहिष्कार करते हुए गांव में किसी नेता के घुसने पर ही रोक लगा दी है। इतना ही नहीं यदि कोई नेता चुनाव प्रचार के लिए गांव में आता है तो उसे अपने पार्टी अध्यक्ष की तरफ से एक हलफनामा देना होगा, ताकि वादे पूरे ना होने की सूरत में गांव के लोग फिर अदालत का रुख कर सकें। बता दें कि भटिंडा के यात्री गांव में इस तरह के पोस्टर लगाए हैं। राष्ट्रीय किसान महासंघ की पहल पर भारती किसान यूनियन (एकता सिद्धपुर) ने ये पोस्टर्स लगाए हैं।
ये पोस्टर्स केन्द्र की एनडीए सरकार और पंजाब की कांग्रेस सरकार दोनों के लिए लगाए गए हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, एक पोस्टर में पंजाबी में लिखा है कि ‘आपको और आपके गठबंधन को याद हैं, जो वादे पिछले इलेक्शन में किए गए थे।’ इन पोस्टर्स में 2 मांगे केन्द्र सरकार से और 3 मांगे राज्य सरकार से की गई हैं। गांव के लोगों ने केन्द्र की एनडीए सरकार से मांग की है कि कृषि क्षेत्र में स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू की जाए। इसके साथ ही एनडीए सरकार के वादे के मुताबिक हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपए आने चाहिए। वहीं कांग्रेस सरकार से जो गांव के लोगों ने 3 मांग की हैं, उनमें किसानों का पूरा कर्ज माफ, युवाओं को रोजगार और राज्य से ड्रग्स के धंधे का सफाया, शामिल हैं।
बठिंडा लोकसभा सीट से एनडीए की तरफ से हरसिमरत कौर बादल, कांग्रेस की तरफ से अमरिंदर सिंह राजा, पंजाबी एकता मंच पार्टी के सुखपाल सिंह खैरा और आम आदमी पार्टी की बालजिंदर कौर चुनाव मैदान में हैं। भारती किसान यूनियन (एकता सिद्धपुर) के महासचिव रेशम सिंह का कहना है कि उनका गांव पिछले काफी समय से विकास के मामले में हाशिए पर है, यही वजह है कि गांव वालों ने इस बार चुनाव का बायकाट करने का फैसला किया है। रेशम सिंह ने बताया कि गांव में सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है और लोगों को सिचाईं के लिए ट्यूबवैल पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन ट्यूबवैल लगाने का खर्च करीब 3 लाख रुपए है। रेशम सिंह ने बताया कि बीते विधानसभा चुनावों के दौरान भी गांव वालों ने चुनाव का बायकाट करने का फैसला किया था, लेकिन एक नेता द्वारा उनकी मांगे पूरी करने के वादे के बाद उन्होंने चुनाव का बायकाट नहीं करने का फैसला किया था। लेकिन अभी तक भी कुछ नहीं हुआ है। गांव के लोगों का कहना है कि राजनैतिक पार्टियों को उनके वादों के प्रति जिम्मेदार बनाने के लिए ही हमने हलफनामा देने की मांग की है।

