पंजाब के किसान हरियाणा बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान दिल्ली में प्रवेश करना चाहते है। इस बीच पंजाब के भूमिहीन मजदूरों ने भी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। भूमिहीन मजदूरों ने ‘मजदूर पैदल जोड़ो यात्रा’ शुरू की है। इसके लिए मजदूर पैदल या साइकिल से एक गांव से दूसरे गांव जाकर समर्थन जुटा रहे हैं।

भूमिहीन किसान और दिहाड़ी मजदूर ज्यादातर दलित समुदाय से आते हैं। वह भूमि स्वामित्व अधिकार, उनके सिर पर छत, कर्ज माफी, उचित मजदूरी और जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करने सहित अन्य मांग कर रहे हैं। पेंडू मजदूर यूनियन, पंजाब और ज़मीन प्राप्ति संघर्ष समिति आदि जैसे यूनियन एक साथ आकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

‘मजदूर पैदल जोड़ो यात्रा’ वर्तमान में जालंधर, होशियारपुर और मोगा जैसे जिलों में चल रही है। इस बीच यूनियनों ने 11 मार्च को राज्यव्यापी ‘रेल रोको’ की घोषणा की है। पेंडू मजदूर यूनियन के प्रेस सचिव कश्मीर सिंह घोषोर ने कहा, “भूमिहीन और दलित मजदूर और अन्य वंचित वर्ग पैदल या अपनी साइकिलों पर विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं, अपनी आवाज उठा रहे हैं। कई मुद्दों पर आवाज उठाई, जिन पर लगातार सरकारों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया।”

कश्मीर सिंह घोषोर ने कहा, “हमारी प्रमुख मांगों में भूमि अधिकार और घर का मालिकाना हक शामिल है। पंजाब भूमि सीमा अधिनियम के अनुसार एक परिवार 17.5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि का मालिक नहीं हो सकता। इस प्रकार भूमिहीनों के बीच वितरण के लिए अतिरिक्त भूमि सरकार को देनी होगी। पंजाब सरकार की ‘मेरा घर, मेरे नाम’ योजना के तहत यह वादा किया गया था कि गांवों की ‘लाल डोरा’ सीमा के भीतर क्लस्टर बस्तियों में रहने वाले सभी एससी परिवारों को उनके घरों का स्वामित्व दिया जाएगा, लेकिन आज तक रजिस्ट्रियां नहीं की गईं। सिर्फ अमीरों को ही नहीं, बल्कि हमारे जैसे गरीबों को भी जमीन और घर पर समान अधिकार है।”

मजदूरों की अन्य मांगों में 1957 में अखिल भारतीय श्रम सम्मेलन में लिए गए निर्णय के अनुसार उनके डेली वेतन में न्यूनतम 1,000 रुपये की बढ़ोतरी, रविवार को साप्ताहिक छुट्टी का अधिकार, सरकारी, सहकारी सहित सभी लोन पर माफी शामिल है। इसके अलावा निजी संस्थान और एक तिहाई पंचायत भूमि पर अधिकार की भी मांग की गई है।