Amritpal Singh New Political Party: पंजाब की सियासत के लिए मंगलवार का दिन बेहद अहम है। जेल में बंद सांसद अमृतपाल सिंह की नई पार्टी का आज ऐलान होने जा रहा है। खडूर साहिब लोकसभा सीट से सांसद अमृतपाल सिंह पिछले दो साल से डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। ऐसे में उनके पिता और उनके समर्थक उनकी नई पार्टी के नाम का ऐलान करेंगे।

अमृतपाल के कानूनी सलाहकार राजदेव सिंह खालसा ने ‘द हिंदू’ को बताया कि अमृतपाल सिंह पार्टी के अध्यक्ष होंगे, जबकि उनके पिता तरसेम सिंह कार्यवाहक अध्यक्ष होंगे। पार्टी की विचारधारा पंजाब और पंथ से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित होगी और हमारी पार्टी सभी के कल्याण के लिए काम करेगी।

सांसद बनने से पहले अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन को संभाल रहे थे। यह संगठन पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू ने बनाया था। अमृतपाल सिंह को खालिस्तान यानी सिखों के लिए अलग राष्ट्र का समर्थक माना जाता है।

दिल्ली की राजनीति में कितने ताकतवर हैं झुग्गी-झोपड़ियों के मतदाता, जिस ओर जाएंगे बदल देंगे चुनावी माहौल?

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में किसे वोट देंगे झुग्गियों के मतदाता। (Source-Jansatta)

पंजाब की राजनीति में चर्चा इसी बात की है कि अमृतपाल सिंह की पार्टी सुखबीर बादल की अगुवाई वाले शिरोमणि अकाली दल को कितना नुकसान पहुंचाएगी? वैसे भी अकाली दल लगातार मुसीबत से जूझ रहा है। अकाली दल की ओर से भी माघी मेले के मौके पर बड़ी सियासी रैली का आयोजन किया जा रहा है।

अकाली दल में चल रहा है घमासान

बताना होगा कि शिरोमणि अकाली दल के भीतर लगातार घमासान चल रहा है। पार्टी दो धड़ों में बंट गई है और पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। अब पार्टी को नए अध्यक्ष का चुनाव करना है। अकाली दल के कई बड़े नेता सुखबीर बादल के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। ऐसे नेताओं में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर, पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा, पूर्व मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा, सिकंदर सिंह मलूका, सुरजीत सिंह रखड़ा, पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला आदि शामिल हैं।

ममता बनर्जी को लेकर कन्फ्यूजन में है कांग्रेस? पूर्व अध्यक्ष बोले- TMC प्रमुख को बाहर करने की कीमत चुका रही पार्टी

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पश्चिम बंगाल में युवा कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं ममता बनर्जी। (Source-FB)

पिछले दो विधानसभा चुनाव और इस बार के लोकसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद से ही अकाली दल में निराशा का माहौल है। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में अकाली दल को सिर्फ 3 सीटें जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे एक सीट पर जीत मिली थी।

गिरता गया अकाली दल का वोट शेयर

सालअकाली दल को मिले वोट (प्रतिशत में)
2012 विधानसभा चुनाव34.73%
2014 लोकसभा चुनाव 26.4%
2017 विधानसभा चुनाव25.4%
2019 लोकसभा चुनाव 27.45%
2022 विधानसभा चुनाव18.38%
2024 लोकसभा चुनाव 13.42%

अकाली दल को डर इस बात का है कि उसके पास जो बचा-खुचा वोट बैंक है, कहीं वह भी अमृतपाल सिंह की ओर न खिसक जाए। अमृतपाल सिंह के साथ फरीदकोट सीट से चुनाव जीते सरबजीत सिंह खालसा भी शामिल हैं। यह दोनों ही सांसद मिलकर नया राजनीतिक दल बनाने जा रहे हैं। सरबजीत सिंह खालसा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे हैं।

कट्टरपंथी राजनीति के सिर उठाने का खतरा

2024 के लोकसभा चुनाव में अमृतपाल सिंह और सरबजीत सिंह खालसा की जीत को पंजाब की राजनीति में कट्टरपंथ के उभरने के रूप में देखा गया था। इससे पहले 2022 के संगरूर उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान की जीत के बाद भी यही कहा गया था कि पंजाब की सियासत में कट्टरपंथी तत्व मजबूत हो रहे हैं। पंजाब में पिछले कुछ सालों में कई छिटपुट घटनाएं होने के साथ ही थाने-चौकियों के बाहर धमाके हो चुके हैं। इससे इस संवेदनशील राज्य की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होते रहते हैं।

India-Afghanistan Talks: भारत और अफगानिस्तान आ रहे करीब, इससे पाकिस्तान को क्या परेशानी है?

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नजदीक आ रहे भारत-अफगानिस्तान। (Source-@MEAIndia/X)

अकाली दल की स्थिति इस कदर खराब है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता एक नया राजनीतिक दल शुरू खड़ा करने पर विचार कर रहे हैं। वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने ‘द हिंदू’ से बातचीत में कहा कि अगर शिरोमणि अकाली दल अकाल तख्त के निर्देशों का पालन नहीं करता है तो बागी नेताओं को एक नया संगठन शुरू करने पर विचार करना पड़ेगा।

अकाली दल की हालत पंजाब की सियासत में इस कदर खराब हो चुकी है कि वह पंजाब में पिछले साल चार सीटों पर हुए उपचुनाव में अपने उम्मीदवारों के नाम का भी ऐलान नहीं कर सकी जबकि बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इन सभी सीटों पर चुनाव लड़ा। पिछले साल अगस्त के महीने में सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त के द्वारा तन्खैया घोषित किए जाने के बाद से ही सुखबीर बादल की मुश्किलों में इजाफा हुआ है।

पंजाब में 2027 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। देखना होगा कि अमृतपाल सिंह की पार्टी अकाली दल को कितना नुकसान पहुंचाएगी?

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