पंजाब, हरियाणा और मध्यप्रदेश ने अपने आईपीएस लेवल के अधिकारियों को मणिपुर से वापस बुला लिया है। अब इनकी जगह नए अधिकारियों को भेजा गया है। एक साल पहले अलग-अलग राज्यों ने अपने अधिकारियों को मणिपुर भेजा था। यह सभी हिंसा की जांच के लिए बनाई गई SIT टीमों का नेतृत्व कर रहे थे। पिछले साल 3 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर दत्तात्रेय पडसलगीकर को मणिपुर में यौन हिंसा की घटनाओं की सीबीआई जांच के लिए मॉनिटरिंग के लिए नियुक्त किया था। 

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद हुआ था फैसला

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को एसआईटी के लिए अपने अधिकारियों नाम भेजने के लिए कहा था। जिसके बाद राजस्थान, ओडिशा, दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा के आईपीएस और स्थानीय कैडर के अधिकारियों को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और मणिपुर पुलिस द्वारा जांचे गए मामलों की एसआईटी का नेतृत्व करने के लिए ‘टोकन अधिकारी’ के तौर पर मणिपुर भेजा गया था। इनमें से कुछ अधिकारी सीबीआई को और अन्य मणिपुर पुलिस को रिपोर्ट करते थे।

क्यों हुआ फेरबदल?

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक IPS अधिकारियों को उनके कैडर में वापस भेजने की चर्चा तब शुरू हुई जब जनवरी में पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक पर आए कुछ आईपीएस अधिकारियों को उप महानिरीक्षक (DIG) के पद पर प्रमोट  किया गया। तब उन्होंने अपने पुलिस प्रमुखों से उन्हें वापस बुलाने का अनुरोध किया। 

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सूत्रों ने कहा, “प्रमोशन पाने वाले सभी आईपीएस अधिकारियों ने दत्तात्रेय पडसलगीकर से अनुरोध किया था कि उन्हें कैडर में वापस भेजा जाए। जिसके बाद कथित तौर पर उन्होंने सीबीआई निदेशक और गृह मंत्रालय को एक पत्र भेजा, जिसमें मणिपुर के ताजा हालात का जिक्र था। इस पत्र में एसआईटी के सभी अधिकारियों के लिए रोटेशन नीति शुरू करने का सुझाव दिया गया।”

सूत्र ने बताया कि एसआईटी में मणिपुर पुलिस के सभी पुलिसकर्मी हैं और मामलों पर काम करने से ज़्यादा वे कानून-व्यवस्था की ड्यूटी में व्यस्त हैं। संपर्क किए जाने पर दत्तात्रेय पडसलगीकर ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। मणिपुर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव सिंह ने भी कोई जवाब नहीं दिया।