POCSO Act: POCSO एक्ट अधिनियम 2012 के तहत दर्ज एक मामले में सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक सरकारी वकील और एक जांच अधिकारी के वेतन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह कार्रवाई सरकारी वकील(पब्लिक प्रोसेक्यूटर) और जांच अधिकारी द्वारा यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 के से जुड़े एक मामले में प्रभावी ढंग से सुनवाई करने में विफल रहने के लिए की।

केस की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के लिए शर्तें लगाई जानी चाहिए:

इस मामले में सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति राजबीर सहरावत ने कहा कि पब्लिक प्रोसेक्यूटर और जांच अधिकारी ने मामले में सही तत्परता के साथ अपना काम नहीं किया। ऐसे में इस मुकदमें की प्रक्रिया को कम समय में पूरा करने के लिए बाध्य करने के लिए उनपर जबरदस्ती की शर्तें लगाई जानी चाहिए।

सभी गवाहों की पूछताछ तक वेतन पर रोक:

अदालत ने पंजाब निदेशक (अभियोजन) और होशियारपुर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को इन दोनों अधिकारियों के वेतन को रोकने को लेकर 15 अक्टूबर को या उससे पहले रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है। बता दें कि इस मामले में अगली सुनवाई भी 15 अक्टूबर को होगी। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जबतक इस मामले में अभियोजन पक्ष के सभी गवाहों से पूछताछ नहीं होती तबतक उनके वेतन पर रोक रहेगी।

सिर्फ पीड़ित की ही जांच की गई:

दरअसल मामले में चार साल से अधिक समय से जेल में बंद एक आरोपी की जमानत याचिका पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की पीठ सुनवाई कर रही थी। अहम बात यह थी कि इस मामले में आज तक सिर्फ पीड़ित की ही जांच की गई थी। अदालत ने कहा कि मामले से जुड़े तथ्यों को देखते हुए पब्लिक प्रोसेक्यूटर द्वारा लापरवाही बरतने के चलते याचिकाकर्ता जेल में नहीं रह सकता है।

कोर्ट ने दी जमानत:

कोर्ट ने शख्स को जमानत देते हुए कहा कि इस स्तर पर किसी भी जांच के लिए याचिकाकर्ता की जरुरत नहीं है। अदालत द्वारा उसके खिलाफ कोई प्रभावी कार्यवाही किए बिना उसे जेल में रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।