केंद्र सरकार ने गुरुवार को पंजाब सरकार के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें राज्य को “गंभीर रूप से बाढ़ग्रस्त” घोषित करने की सिफारिश की गई थी। यह मंजूरी ऐसे समय में मिली है जब केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और जितिन प्रसाद ने पठानकोट और गुरदासपुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन किया।
केंद्र द्वारा पंजाब को “गंभीर रूप से बाढ़ग्रस्त” घोषित करने पर सहमति जताए जाने के साथ, 1988 के बाद आई सबसे भीषण बाढ़ से उबर रहे इस सीमावर्ती राज्य को मुआवजे के रूप में अधिक धनराशि मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही पंजाब सरकार को राज्यों के पूंजी निवेश के लिए विशेष सहायता (SASCI) योजना के तहत 595 करोड़ रुपये का 50 साल का सॉफ्ट लोन भी मिलेगा। यह राशि विशेष रूप से क्षतिग्रस्त सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की मरम्मत पर खर्च की जाएगी।
निर्णय से फसलों के नुकसान की भरपाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा
इस निर्णय से फसलों के नुकसान की भरपाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुए घरों के मालिकों को सीधा लाभ होगा। उदाहरण के लिए राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के नियमों के तहत यदि कोई घर पूरी तरह से नष्ट हो जाता है तो मकान मालिक को 1.20 लाख रुपये मिलते हैं। अब यह मुआवजा 3 लाख रुपये तक हो सकता है। एक अधिकारी ने बताया कि फसल के नुकसान के लिए राज्य सरकार ने 20,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की घोषणा की है, जबकि एसडीआरएफ के तहत यह राशि 6,800 रुपये प्रति एकड़ निर्धारित है।
राज्य सरकार शुक्रवार को मुख्य सचिव केएपी सिन्हा की अध्यक्षता में एक बैठक करेगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि किन मदों के तहत और अतिरिक्त धनराशि की मांग की जाए। सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय आवश्यक है क्योंकि राज्य सरकार को मैचिंग ग्रांट में अपना हिस्सा बढ़ाना होगा। वर्तमान व्यवस्था के अनुसार, केंद्र और राज्य 75:25 के अनुपात में धनराशि साझा करते हैं।
एक अधिकारी ने बताया, “…नुकसान और अतिरिक्त धनराशि की मांग का अंतिम ज्ञापन भी तैयार किया जाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि पंजाब सरकार ने पिछले हफ्ते केंद्र को पत्र लिखकर राज्य को गंभीर रूप से बाढ़ग्रस्त घोषित करने की माँग की थी। केंद्र ने अभूतपूर्व बारिश और बाढ़ से हुई व्यापक तबाही को स्वीकार किया है। बढ़ा हुआ आवंटन और ऋण, तत्काल पुनर्निर्माण प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
7 सितंबर को केंद्रीय आपदा समिति को सौंपे गए एक अंतरिम ज्ञापन के अनुसार, राज्य ने बाढ़ से हुए कुल नुकसान का अनुमान 13,289 करोड़ रुपये लगाया था।
इसमें जल संसाधन विभाग द्वारा आंकी गई 1,520 करोड़ रुपये की क्षति, ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग (5,043 करोड़ रुपये) और स्वास्थ्य विभाग (780 करोड़ रुपये) की क्षति शामिल है। इसके अलावा, पंजाब मंडी बोर्ड (1,022 करोड़ रुपये), लोक निर्माण विभाग (1,970 करोड़ रुपये), कृषि विभाग (317 करोड़ रुपये), शिक्षा विभाग (542 करोड़ रुपये), बिजली विभाग (103 करोड़ रुपये) और पशुपालन विभाग (103 करोड़ रुपये) सहित अन्य विभागों ने भी नुकसान की सूचना दी है।