Punjab Bandh Latest Update: किसानों का पंजाब बंद अब समाप्त हो गया है, सुबह शुरू हुआ प्रदर्शन अब थम चुका है। किसानों का यह बंद कुछ पहलुओं पर सफल रहा तो वहीं कुछ पहलुओं पर उसे उम्मीद के मुताबिक सफलता मिलती नहीं दिखी। किसान चाहते थे कि व्यापारी भी इस बंद का पूरा समर्थन करें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो यह उनके लिए झटका साबित हुआ। दूसरी तरफ जिस तरह से उनकी एक पुकार पर ट्रेन और बसों के पहिये रुक से गए, इसने उनकी ताकत का भी अहसास करवा दिया।
पंजाब बंद में कैसे रहे हालात?
पंजाब बंद को सफल मानने का कारण यह रह सकता है कि उनका उदेश्य अगर ट्रेन और बसों की रफ्तार को रोकना था, अगर उनका उदेश्य चक्का जाम करना था, ऐसा करने में वे सफल रहे हैं। बंद के दौरान कई सड़कें ब्लॉक दिखाई दीं, बंद के दौरान लंबे जाम दिखाई पड़े, इसके ऊपर जिस तरह से 150 ट्रेनें कैंसिल हुईं, उसने भी बंद का असर साफ दिखा दिया।
बरनाला जिले में किसानों के विरोध प्रदर्शन की वजह से बाजार बंद दिखे। इसके ऊपर रेल और बस सेवा भी इलाके में प्रभावित दिखाई दी। इसके ऊपर चंडीगढ़ बठिंडा नेशनल हाईवे, बरनाला-लुधियाना हाईवे पर आवाजाही पूरी तरह बंद रही। जब चंडीगढ़-जालंधर हाईवे के हालात देखे गए तो वहां भी धरने का असर देखने को मिल गया। कुराली में तो किसान बीच सड़क पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करते रहे। जमीन पर पुलिस तैनात रही, लेकिन वाहन चालकों को खासा चुनौतियों का सामना करना पड़ा, कई जगहों पर रूट डायवर्जन भी देखने को मिला।
वैसे पंजाब बंद की वजह से पठानकोट-अमृतसर नेशनल हाईवे पर भी हालात सही नहीं दिखे। कई वाहनों को वहां रोका गया, बात अगर पठानकोट बस स्टैंड की करें तो लोगों ने शिकायत की कि वे घंटों बस का इंतजार करते रहे, लेकिन कोई ट्रांसपोर्ट नहीं मिला। वैसे कुछ जगह जहां पर किसानों के बंद का असर नहीं दिख रहा था, वहां जबरदस्ती दुकानें बंद करवाते भी यही किसान दिख गए। लुधियाना के बस्ती जोधेवाल चौक पर किसानों और दुकानदारों के बीच जमकर बहस होती दिख गई।
जालंधर के फिल्लौर में भी हाईवे कई घंटों तक बंद रहा। वहां पर गाड़ियों का ताता काफी लंबा दिखा, आक्रोशित लोगों ने नाराजगी भी व्यक्त की, लेकिन वे ज्यादा कुछ नहीं कर पाए।
किसानों की क्या मांग?
जानकारी के लिए बता दें कि केएमएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) इस साल 13 फरवरी से पंजाब-हरियाणा सीमा पर स्थित शंभू और खनौरी में डेरा डाले हुए हैं और कई मांगें उठा रहे हैं। इनमें से सबसे प्रमुख एमएसपी को कानूनी गारंटी देना है। खनौरी बॉर्डर पर एक महीने से भी अधिक समय से आमरण अनशन पर बैठे जगजीत सिंह दल्लेवाल एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के संयोजक हैं।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी निकालेगी हल?
अभी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन कर दिया है, रिटायर्ड जस्टिस नवाब सिंह की अध्यक्षता में उस कमेटी का गठन हुआ है, तीन जनवरी को किसानों को वहां मुलाकात के लिए बुलाया गया है। किसानों ने भी निमंत्रण स्वीकार कर लिया है, ऐसे में फिर बातचीत की टेबल पर आया जा रहा है। किसानों के प्रदर्शन के बारे में और जानने के लिए यहां क्लिक करें
