पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। एक महिला भरण पोषण मामले को लेकर कोर्ट पहुंच गई। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि पिता होना साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट करवाने का निर्देश दिया जा सकता है। मोहाली की फैमिली कोर्ट ने महिला की अर्जी को स्वीकार कर लिया था और उसके पति से डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल मांगे गए थे। कोर्ट में युवक ने बताया कि उसका महिला और बच्चे के साथ किसी भी तरह का संबंध नहीं है।
कोर्ट ने DNA टेस्ट करवाने का दिया था निर्देश
मोहाली कोर्ट ने डीएनए टेस्ट करवाने का निर्देश दिया था, जिसके खिलाफ पिता हाईकोर्ट पहुंचा था और उसने कहा कि डीएनए सैंपल लेने का कोई कानून नहीं है।
आरोपी ने यह भी कहा कि उसका कोई विवाह नहीं हुआ है। हालांकि बच्चों के आधार कार्ड और पासपोर्ट में उसको पिता के रूप में दर्शाया गया है। इसे भी कोर्ट के रिकॉर्ड में रखा गया है। हाई कोर्ट ने कहा कि यदि डीएनए टेस्ट पॉजिटिव आया तो बच्चे के भरण पोषण के लिए याचिकाकर्ता की जवाबदेही होगी और महिला का मामला मजबूत माना जाएगा।
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस हरप्रीत सिंह बरार ने कहा कि अनुमानों का सहारा लेने से बेहतर विज्ञान पर भरोसा किया जाए। उन्होंने कहा कि विज्ञान पर भरोसा न करने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी पक्ष को अपने दावों के समर्थन में सबसे बेहतर उपलब्ध सबूत पेश करने का अवसर मिलना ही चाहिए।