जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद वहां संचार के साधनों प्रतिबंध जारी है। पुणे में रविवार को जम्मू-कश्मीर में संचार के साधनों पर लगी रोक को खत्म किए जाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया।

स्थानीय लोगों के एक समूह ने बीजे मेडिकल जेंट्स हॉस्टल के ठीक सामने बीआर अंबेडकर की प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया। ये लोग जम्मू कश्मीर में संचार साधनों पर प्रतिबंध हटाने के साथ ही केंद्रशासित प्रदेश में मानवाधिकार को फिर से बहाल किए जाने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारी जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ लोकतांत्रिक तरीकों से बातचीत शुरु किए जाने की भी मांग कर रहे थे।

समूह ने अपने प्रदर्शन में स्थानीय लोगों से समर्थन की अपील की। इन लोगों ने ‘पुणे कश्मीर के साथ खड़ा है’, ‘विकास के नाम पर कश्मीर को निशाना नहीं बनाया जा सकता’, ‘बंदूक की नोक पर शांति’ और ‘हमें चाहिए असली लोकतंत्र’ जैसे नारे लिखे हुए थे। ये लोग कश्मीर में आजादी के नारे भी लगा रहे थे।

पुणे कश्मीर सॉलिडेरिटी डिमोंस्ट्रेशन की संयोजक सानिका अठावले ने कहा कि वे लोग जम्मू और कश्मीर में संचार के साधनों पर लगी रोक और मानवाधिकार के उल्लंघन के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए एकजुट हुए हैं। प्रदर्शनकारियों की तरफ से अनुच्छेद 370 की मांग पर अठावले ने कहा कि हमनें 370 पर बात नहीं करने का फैसला किया है।

उन्होंने कहा कि हमारे प्रदर्शन में राजनेताओं को शामिल नहीं किया गया क्योंकि ये हमारे लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। प्रदर्शन में शामिल हुए अधिकतर लोग स्थानीय ही थे। इस ग्रुप में जम्मू-कश्मीर की रहने वाली वफा हाजी भी शामिल थीं। हाजी ने कहा कि मैं जम्मू और कश्मीर से हूं लेकिन पिछले 15 साल से पुणे में ही रह रही हूं।

हमारे कई दोस्तों ने कश्मीर के लोगों का समर्थन करने और प्रदर्शन करने का फैसला किया। हम लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांग को रख रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, समता सैनिक दल के कार्यकर्ता अमर दीपांकर ने कहा कि मैंने इस प्रदर्शन को देखा। यह अच्छे उद्देश्य के लिए था तो मैं भी इसमें शामिल हो गया।