ट्रिपल तलाक कानून को लागू हुए दो साल पूरे हो चुके हैं। बीते 1 अगस्त को इस कानून के दो साल पूरे होने पर केंद्र सरकार ने ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ मनाया। ट्रिपल तलाक कानून लागू होने से भले ही मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति मिली हो लेकिन कई मुस्लिम महिलाओं की परेशानी बढ़ गई है। कई मुस्लिम महिलाओं के पति उन्हें बिना तलाक दिए हुए ही उन्हें छोड़ कर जा रहे हैं जिसकी वजह से उन महिलाओं को अकेले जीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हैदराबाद के जकीरा(काल्पनिक) नाम की एक महिला की शादी सिर्फ 18 दिनों तक ही चल सकी। 18 दिनों के बाद जब जकीरा के पति को हत्या के एक मुक़दमे में जेल भेजा गया तो उसे उसके अपने माता पिता के यहां भेज दिया गया। बाद में जकीरा के परिवार वालों ने ही पैसे जुटाकर उसके की जमानत करवाई। लेकिन बाद में उसके पति ने बिना तलाक दिए ही दूसरे महिला से शादी कर ली।
ऐसी कहानी सिर्फ जकीरा की ही नहीं है। जकीरा के अलावा भी कई ऐसी महिलाएं हैं जिसके पति ने बिना तलाक दिए ही छोड़ दिया है। ऐसी कहानी तेलंगाना के सुल्ताना (काल्पनिक) नाम की एक महिला की भी है जिसकी पहली शादी 14 साल में हुई। बाद में बच्चा होने के बाद उसके पहले पति ने उसे तलाक दे दिया। जिसके बाद उसकी दूसरी शादी करा दी गई लेकिन सुल्ताना का दूसरा पति भी उसे बिना बताए छोड़ कर चला गया क्योंकि वह किसी और महिला से प्यार करता था।
तीन तलाक कानून के अस्तित्व में आने के बाद दर्जनों ऐसे मामले सामने आए हैं जहां मुस्लिम व्यक्ति ने अपनी पत्नी को बिना तलाक दिए हुए ही छोड़ दिया। इस तरह के बढ़ते मामलों पर मुस्लिम महिलाओं के लिए काम करने वाली एक संस्था की अधिकारी कहती हैं जब हम इन मामलों में पुरुषों को सलाह देने की कोशिश करते हैं तो वे साफ़ कहते हैं कि हम किसी भी कीमत पर तलाक फाइल नहीं करेंगे। दरअसल मुस्लिम पुरुष क़ानूनी प्रक्रियाओं से बचने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
बता दें कि मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक जुलाई 2019 में संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस विधेयक को एक अगस्त 2019 को मंजूरी दी थी और यह कानून अस्तित्व में आ गया था। इस कानून के अनुसार तीन तलाक एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है। साथ ही इस कानून के अनुसार पीड़िता को गुजारा भत्ता का भी अधिकार दिया गया है।