प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को क्लासिकल संगीत से जुड़े युवाओं के अभियान- SPIC-MACAY अनुभव सीरीज में वीडियो मैसेज के जरिए जनता को संबोधित किया। पीएम ने कोरोनाकाल में कलाकारों की तारीफ करते हुए कहा कि गायकों, गीतकारों, कलाकारों ने देश का मनोबल बढ़ाने के लिए, देश को जागरूक करने के लिए, इस लड़ाई में जोश फूंकने के लिए एक रचनात्मक अभियान खड़ा कर दिया है। बीते दिनों ऐसे कितने ही संगीतमय प्रयोग हमने देखे और सुने हैं।
मोदी ने कहा कि जब 130 करोड़ लोग एक भावना से एक साथ आते हैं, एक संग जुड़ते हैं तो यह संग ही संगीत बन जाता है। चाहे कोई भी आपदा हो, संगीत और त्योहारों ने लोगों को मुसीबत से उबरने में मदद की है। कार्यक्रम के बारे में मोदी ने कहा कि हमारे गायकों और कलाकारों ने एक रचनात्मक अभियान शुरू किया है। यह महामारी के वक्त देश का हौसला बढ़ाएगा।
संगीत ने हमेशा लोगों को कठिन परिस्थितियों से बाहर निकालाः पीएम ने कहा, “जिस तरह संगीत में एक सामंजस्य की जरूरत होती है, एक अनुशासन की जरूरत होती है, उसी तरह के सामंजस्य, संयम और अनुशासन से ही देश का प्रत्येक नागरिक आज इस महामारी से लड़ रहा है।” उन्होंने कहा, “कोई भी आपदा पड़ी हो, विपदा-विपत्ति रही हो, हर स्थिति में उत्सवों ने मानव सभ्यता को कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलने में मदद की है। हमारे देश में तो हर मौसम के लिए, हर ऋतु के लिए अलग-अलग उत्सव, अलग अलग गीत, संगीत और लोकगीत रहे हैं।”
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पीएम ने शास्त्रों का जिक्र करते हुए कहा, “न नादेन बिना गीतं, न नादेन बिना स्वरः। न नादेन बिना ज्ञानम् न नादेन बिना शिवः॥ अर्थात, नाद के बिना गीत संगीत और स्वर सिद्ध नहीं होते, और नादयोग के बिना ज्ञान और शिवत्व की प्राप्ति नहीं होती। यहां शिवत्व का मतलब है आत्म कल्याण। शिवत्व का मतलब है मानवता का कल्याण। शिवत्व का मतलब है मानवता की सेवा। इसलिए, हमारे यहां संगीत केवल अपने सुख का ही नहीं, बल्कि साधना और सेवा का भी माध्यम रहा है, संगीत की साधना, तपस्या का रूप रही है।
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