गुजरात के कच्छ में कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा और कहा कि कृषि सुधारों की मांग वर्षो से की जा रही थी और अनेक किसान संगठन भी यह मांग करते थे कि किसानों को कहीं पर भी अनाज बेचने का विकल्प दिया जाए। आज देश ने जब यह ऐतिहासिक कदम उठा लिया तो विपक्षी दल किसानों को भ्रमित करने में जुट गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज कल दिल्ली के आसपास किसानों को भ्रमित करने की बड़ी साजिश चल रही है। उन्हें डराया जा रहा है कि कृषि सुधारों के बाद किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया जाएगा।’ मोदी ने कहा, ‘आज जो लोग विपक्ष में बैठकर किसानों को भ्रमित कर रहे हैं, वे भी अपनी सरकार के समय इन कृषि सुधारों के समर्थन में थे। लेकिन अपनी सरकार के रहते वे निर्णय नहीं ले पाए। किसानों को झूठे दिलासे देते रहे।’
उन्होंने कहा, ‘किसानों की हर शंका के समाधान के लिए सरकार 24 घंटे तैयार है। खेती में किसानों का खर्च कम हो, उनकी आय बढ़े और मुश्किलें कम हों, नए विकल्प मिलें- इसके लिए हमने निरंतर काम किया है।’प्रधानमंत्री ने लोगों से सवाल किया कि क्या कोई डेयरी वाला उनसे दूध लेने का अनुबंध करता है तो क्या वह उनके गाय, भैंस ले जाता है? या कोई फल और सब्जी का उद्यम करता है तो वह उनकी जमीन ले जाता है? उन्होंने कहा ‘देश में डेयरी उद्योग का योगदान कृषि अर्थव्यवस्था के कुल मूल्य में 25 फीसद से भी ज्यादा है।
यह योगदान करीब आठ लाख करोड़ रुपए का होता है। दूध उत्पादन का कुल मूल्य अनाज और दाल के कुल मूल्य से भी ज्यादा होता है। इस व्यवस्था में पशुपालकों को आजादी मिली हुई है। ऐसी आजादी अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए?’
कच्छ में प्रधानमंत्री ने जिन विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया, उनमें दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क भी शामिल है। इसकी स्थापना कच्छ जिले में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास खावड़ा गांव में की जा रही है। इन परियोजनाओं में ऊर्जा पार्क के अलावा एक विलवणीकरण संयंत्र और एक पूर्ण रूप से स्वचालित दूध प्रसंस्करण तथा पैकिंग संयंत्र शामिल हैं। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी उपस्थित थे।
कच्छ के मांडवी में प्रस्तावित विलवणीकरण संयंत्र से खारे पानी को स्वच्छ किया जाएगा तथा इससे तीन सौ गांवों की करीब आठ लाख जनसंख्या के लिए पीने के साफ पानी की व्यवस्था की जा सकेगी। यह संयत्र 10 करोड़ लीटर प्रति दिन की क्षमता (100 एमएलडी) के साथ नर्मदा ग्रिड, सौनी नेटवर्क और अपशिष्ट जल शोधन बुनियादी ढांचे के पूरक के रूप में गुजरात में जल सुरक्षा की स्थिति को मजबूत बनाएगा।