पाकिस्तान को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (MFN) के दर्जे की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को बैठक बुलाई है। पीएम मोदी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर तय करेंगे कि पाकिस्तान का यह दर्जा बरकरार रखा जाए या नहीं। गौरतलब है कि सोमवार को ही प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय बैठक बुलाई थी। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) का सदस्य होने की प्रतिबद्धता के चलते पाकिस्तान केा 1996 में MFN का दर्जा दिया गया था। WTO के जनरल एग्रीमेंट आन टैरिफ्स एंड ट्रेड (GATT) के MFN सिद्धांत पर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं। इसके मुताबिक WTO सदस्य देशों में से हर एक को (इस मामले में भारत और पाकिस्तान) सभी अन्य सदस्यों से ‘सबसे इष्ट व्यापारिक भागीदारों’ की तरह व्यापार करना होगा। WTO के अनुसार, MFN भले ही विशेष व्यवहार की परिभाषा लगे, असल में इसका मतलब गैर-भेदभाव है। पाकिस्तान ने भारत को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा नहीं दे रखा है।
उरी में भारतीय जवानों पर हुए आतंकी हमले के बाद, भारत लगातार पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहरा रहा है। देश में लगातार पाकिस्तान को करारा जवाब देने की आवाज उठ रही है, पाकिस्तान से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा छीने जाने की मांग भी प्रमुखता से उठाई जा रही है। सोमवार को भारत ने सिंधु जल आयोग की बैठक निलंबित कर दी और पाकिस्तान के साथ बंटने वाले नदियों के पानी में अपने हिस्से का इस्तेमाल करने के रास्ते तलाशे।
भारत ने यह भी संकेत दिए कि जम्मू-कश्मीर में तुलबुल प्रोजेक्ट को फिर से शुरू किया जा सकता है। उरी आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले की कीमत पाकिस्तान से कैसे वसूली जाए, इस पर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था- ”खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग करने के अलावा और भी तरीकों के इस्तेमाल को लेकर बैठक में चर्चा की गई। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज में वैश्विक स्तर पर आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों को अलग-थलग करने की अपील की थी।