PM Modi Mauritius Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब हाल ही में मॉरीशस के दौरे पर गए तो उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत भोजपुरी में की। इसे सुनते ही भारत के राजनीतिक विश्लेषकों और बिहार के पत्रकारों के कान खड़े हो गए क्योंकि इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं। मोदी के ऐसा करने को बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़ा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉरीशस की यात्रा के दौरान बिहार के प्रवासी समुदाय से अपने संबंध मजबूत करने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम को मखाना भी भेंट किया।

प्रधानमंत्री की मॉरीशस यात्रा के दौरान, उनके सोशल मीडिया हैंडल पर भोजपुरी में कई पोस्ट की गई जिन्हें बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शेयर किया। मॉरीशस को मिनी बिहार भी कहा जाता है क्योंकि 1834 में बड़ी संख्या में बिहार के लोगों को गिरमिटिया मजदूर के रूप में इस देश में बसाया गया था।

भोजपुरी गीत गाकर किया मोदी का स्वागत

एक बड़ी बात प्रधानमंत्री मोदी के मॉरीशस दौरे के दौरान यह देखने को मिली कि इस दौरान बिहार और यहां के लोगों का कई बार उल्लेख हुआ। इस दौरान बिहार की भाषा, भोजन और संस्कृति पर भी बात हुई। उदाहरण के लिए, जब प्रधानमंत्री पोर्ट लुइस में उतरे तो वहां की महिलाओं ने पारंपरिक भोजपुरी गीत गाकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया।

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इस गीत को ‘गवई’ कहा जाता है और यह खुशी के मौकों जैसे शादी वगैरह में गाया जाता है। एक बड़ी बात यह है कि 2016 में इस गीत को यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया गया था। महिलाओं ने जो गीत गाया, उसकी पंक्तिया कुछ इस तरह थीं- ‘राजा के सोभे ला माथे मौरिया, कृष्ण के सोभे ला हाथे बांसुरी, अहो राजा नाचेला नाचेला, कृष्ण बजावे बांसुरी।’ इसका हिंदी में मतलब है- (राजा के सिर पर मुकुट अच्छा लगता है, कृष्ण के हाथ में बांसुरी शोभा देती है, राजा नाचते हैं, कृष्ण बांसुरी बजाते हैं)।

भारतीय मूल के हैं 70% लोग

मॉरीशस के बारे में एक हैरान करने वाला तथ्य यह है कि यहां की 12 लाख आबादी में लगभग 70% लोग भारतीय मूल के हैं और 50% से अधिक लोग भोजपुरी बोलते और समझते हैं।

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यह जानना जरूरी होगा कि बिहार में भोजपुरी भाषा का असर कितने जिलों में है। बिहार में भोजपुरी भाषा 10 जिलों में बोली जाती है और इसमें 73 विधानसभा सीटें आती हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए को भोजपुरी भाषी जिलों जैसे बक्सर, आरा, सासाराम और औरंगाबाद में हार मिली थी। यह बात निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही बिहार और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के भी जेहन में होगी।

प्रधानमंत्री के मॉरीशस में अपने समकक्ष को मखाना भेंट करने को भी बिहार के विधानसभा चुनाव से जोड़ा गया। पिछले महीने जब मोदी सरकार ने केंद्रीय बजट पेश किया था तो सरकार ने मखाना बोर्ड बनाने का ऐलान किया था। उस समय भी यह चर्चा उठी थी कि एनडीए की नजर मल्लाह समुदाय (मछुआरे और नाविक) के वोटों पर है।

पीएम ने किया नालंदा विश्वविद्यालय का जिक्र

प्रधानमंत्री ने मॉरीशस में अपने भाषण के दौरान नालंदा विश्वविद्यालय की भी बात की। पिछले साल, प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर 17 देशों के राजदूतों को बिहार के राजगीर ले गए थे, जहां उन्होंने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों के पास इसके नए परिसर का उद्घाटन किया था। नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण मोदी सरकार की रणनीति का अहम हिस्सा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी अपने साथ महाकुंभ से संगम का पानी लेकर भी गए।

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ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के प्रवासी भारतीयों तक अपनी पहुंच बढ़ाई है। इससे पहले उन्होंने गुयाना, फिजी, त्रिनिदाद, टोबैगो, सूरीनाम और सेशेल्स में बसे मूल रूप से बिहार के लोगों से संपर्क बढ़ाने की कोशिश की थी।

गुयाना के राष्ट्रपति को भेंट की थी मधुबनी पेंटिंग

जब मोदी पिछले साल गुयाना गए थे तो उन्होंने राष्ट्रपति इरफान अली को मधुबनी पेंटिंग भेंट की थी। मोदी इंडियन अराइवल मॉन्यूमेंट भी गए थे, यह 1838 में कैरिबियाई द्वीपों पर भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के पहले जहाज के आने की याद में बनाया गया है। यह बात दिलचस्प है कि गुयाना में बिहार मूल के भारत के लोगों की आबादी 43.5% है।

इस साल की शुरुआत में त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कंगलू प्रवासी भारतीय दिवस की मुख्य अतिथि थीं। भारत सरकार द्वारा यह कार्यक्रम भारतीय प्रवासियों को सम्मानित करने के लिए हर साल आयोजित किया जाता है।

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