Narendra Modi Parliament Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को लोकसभा में कांग्रेस पर जमकर बरसे। उन्होंने इतिहास में हुई तीन घटनाओं को आधार बनाकर कहा कि संविधान में संशोधन करने का खून कांग्रेस के मुंह लग गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि 75 साल में से 55 साल एक ही परिवार ने राज किया है और क्या-क्या हुआ है, देश को ये जानने का अधिकार है।
आइए आपको बताते हैं कि मोदी ने किन-किन घटनाओं को आधार बनाकर संविधान में संशोधन करने का खून कांग्रेस के मुंह लग गया वाली बात कही।
नेहरू की लिखी गई चिट्ठी
पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू की एक चिट्ठी का जिक्र करते हुए कहा कि 1951 में ये पाप किया गया। यह चिट्ठी मुख्यमंत्रियों को लिखी गई थी। मोदी ने कहा, “पंडित नेहरू की इस चिट्ठी में कहा गया था कि अगर संविधान हमारे रास्ते के बीच में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए। राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि यह गलत हो रहा है, तब स्पीकर पद पर बैठे शख्स ने भी बोला था कि नेहरू जी गलत कर रहे हो, सभी महान कांग्रेसी नेताओं ने पंडित नेहरू को रुकने के लिए कहा था। लेकिन नेहरू जी का अपना संविधान चलता था इसलिए उन्होंने किसी की सलाह नहीं मानी। संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि समय-समय पर संविधान का शिकार करती रही। कई बार संविधान को बदला गया।”
मोदी ने कहा कि जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री ने बोया था, उसे खाद-पानी देने का नाम एक और पीएम ने किया, जिनका नाम था इंदिरा गांधी।
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आपातकाल का जिक्र
पीएम मोदी ने कहा कि जब इंदिरा गांधी के चुनाव को अदालत ने खारिज कर दिया और उनको सांसद पद छोड़ने की नौबत आई तो उन्होंने गुस्से में आकर देश पर इमरजेंसी थोप दी। यह काम इंदिरा गांधी की सरकार ने किया था क्योंकि खून मुंह पर लग गया था, कोई रोकने वाला नहीं था। कांग्रेस के माथे से यह पाप कभी नहीं मिटेगा। कांग्रेस का यह पाप नहीं धुलने वाला है।
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शाहबानो का मामला
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजीव गांधी की सरकार ने उस वृद्ध महिला से हक छीन लिया था जिसे कोर्ट ने उसका अधिकार दिया था। शाहबानो की भावना, कोर्ट की भावना को राजीव गांधी ने नकार दिया था, उन्होंने संविधान को कुचल दिया था। उन्होंने न्याय के लिए एक बूढ़ी महिला का साथ नहीं दिया बल्कि कट्टरपंथियों के साथ चले गए और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया क्योंकि संविधान के साथ खिलवाड़ करने का खून उनके मुंह पर लग चुका था।