प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को चीन पहुंच गए हैं। उनकी यह चीन यात्रा 7 साल बाद हुई है। तियानजिन पहुंचने पर प्रवासी भारतीयों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। प्रवासी भारतीयों ने भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाए। बिनहाई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर चीन और भारत के अफसरों ने उनका स्वागत किया।
प्रधानमंत्री यहां बेहद अहम SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह शिखर सम्मेलन भारत के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि यह अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के लागू होने के बाद हो रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में भाग लेंगे। भारत 2017 से SCO का सदस्य है। SCO शिखर सम्मेलन में मोदी पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष को लेकर सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को सामने रख सकते हैं।
पीएम से मिलने के लिए उत्साहित हैं लोग
चीन के तियानजिन में भारतीय प्रवासी समुदाय के सदस्य गजेंद्र शर्मा ने कहा कि हम सभी पीएम मोदी से मिलने के लिए बहुत उत्साहित हैं।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान गए थे जहां पर उनकी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के बीच शिखर वार्ता हुई थी। दोनों देशों ने आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), अल कायदा और आईएसआईएस के खिलाफ ठोस और सामूहिक कार्रवाई की अपील की थी।
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गलवान की झड़प के बाद खराब हो गए थे रिश्ते
प्रधानमंत्री एक सितंबर तक चीन में रहेंगे और उनकी शी जिनपिंग के साथ महत्वपूर्ण बैठक होगी। दोनों नेता भारत-चीन आर्थिक संबंधों के साथ ही तमाम अन्य मुद्दों पर बात कर सकते हैं। मई, 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच जबरदस्त झड़प हुई थी और इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते बेहद खराब हो गए थे लेकिन अब ऐसा लगता है कि दोनों ही देश खराब यादों को भुलाकर आगे बढ़ना चाहते हैं।
पिछले महीने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। जयशंकर ने कहा था कि दोनों देशों ने संबंध सामान्य करने में अच्छी प्रगति की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि मतभेद विवादों में नहीं बदलने चाहिए।
मोदी और जिनपिंग की हुई थी मुलाकात
पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस के कज़ान में हुए BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान मिले थे। इससे पहले बॉर्डर पर पेट्रोलिंग व्यवस्था को लेकर भी सहमति बनी थी जिसके बाद डिसइंगेजमेंट शुरू हुआ था। पिछले कुछ वक्त में एनएसए अजित डोभाल दो बार चीन जा चुके हैं और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री भी बैठकों में भाग लेने के लिए वहां गए थे।
