आम चुनावों की नजदीकी के चलते पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों ने केन्द्र सरकार की चिंता बढ़ा दी है। सरकार तेल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने की भरपूर कोशिश कर रही है, लेकिन अन्तरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती तेल की कीमतों के कारण उसके ये प्रयास नाकाफी साबित हो रही है। यही वजह है कि सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने तेल कंपनियों के प्रमुखों के साथ एक बैठक की और तेल की बढ़ती कीमतों पर चिंता जाहिर की। पीएम मोदी ने इस दौरान सऊदी अरब समेत सभी तेल उत्पादक देशों से तेल की कीमतों में कमी कर उचित और तर्कसंगत स्तर पर लाने की अपील की। पीएम मोदी ने कहा कि क्रूड ऑयल (कच्चे तेल) की कीमतें बढ़ने से भारत समेत कई देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरी तरह प्रभावित हो रही है। बता दें कि भारत में पेट्रोल डीजल की कीमतों में हर दिन इजाफा हो रहा है। जिससे महंगाई बढ़ रही है।
जहां पीएम मोदी ने तेल के दामों में कमी करने की अपील की, वहीं तेल कंपनियों ने सोमवार को लगातार 10वें दिन भी इसमें बढ़ोत्तरी कर दी। इस बैठक के दौरान शीर्ष तेल कंपनियों के प्रमुख और सऊदी अरब के तेल मंत्री खालिद अल-फालेह भी मौजूद थे। बैठक में बीपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बॉब डुडले, टोटल के प्रमुख पैट्रिक फोउयाने, रिलायंस इंडस्ट्रीज के निदेशक पीएमएस प्रसाद और वेदांता प्रमुख अनिल अग्रवाल, रिलायंस प्रमुख मुकेश अंबानी और आईओसी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम आदि के प्रमुख अधिकारी मौजूद थे। गौरतलब है कि अमेरिका के प्रतिबंधों के चलते भारत अक्टूबर के बाद ईरान से भी तेल का आयात प्रभावित हो सकता है। ऐसे में इस बैठक में तेल की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ ईरान मुद्दे पर भी चर्चा की गई। पीएम मोदी ने बैठक के दौरान यह भी पूछा कि पिछली बैठक में उनके दिए सुझावों पर अमल करने के बाद भी देश में तेल और गैस की खोज और उत्पादन के क्षेत्र में निवेश क्यों नहीं आ रहा है?
बैठक में मौजूद केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से भारत को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में डॉलर के मुकाबले कच्चा तेल 50% और रुपए के मुकाबले 70% तक महंगा हो चुका है। इस बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली और नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार भी शामिल थे। बता दें कि कच्चे तेल की कीमत बढ़ने के साथ ही रुपए की गिरती कीमत ने भी सरकार की चिंता बढ़ायी हुई है। विपक्षी पार्टियां अब इसे राजनैतिक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हैं।

