राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुके स्वतंत्रता सेनानी शोभाराम गहरवार ने कहा है कि राजनेताओं को जनता को राजा समझना चाहिए, खुद को नहीं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को ईमानदार होना चाहिए। उन्होंने दैनिक भास्कर के साथ बात करते हुए स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बम पहुंचाने की कहानी भी बतायी।

अजमेर में हुए संघर्ष को याद करते हुए उन्होंने कहा कि पहली बार उन्हें बनारस बम पहुंचाने का टास्क मिला था। अपने साथियों के साथ आंवाला में छिपकर बम ले कर गए थे। बनारस से पहले मुगलसराय स्टेशन पर उतर गए। वहीं पर उन लोगो की योजना की भनक पुलिस को लग गयी। पुलिस उन लोगों की तलाश करने लगी। पुलिस से बचने के लिए वो कोयले की इजंन में छिप गए।

काफी दिक्कत के बाद वो बम लेकर बनारस पहुंचे। लेकिन वहां पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। लेकिन पुलिस को उलझाकर वो बचने में सफल रहे। उन्होंने पुलिस को बताया कि उनका अजमेर में फलों का कारोबार है। यहां आम लेने आएं है। कपड़े उतारकर तलाशी ली गयी, लेकिन कुछ भी नहीं मिला। उस घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि अगर उस समय पकड़ लिए गए होते तो आज जिंदा नहीं होते।

बताते चलें कि शोभाराम गहरवार ने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभायी थी। पत्र को एक जगह से दूसरे जगह पर पहुंचाने के लिए बनाए गए टोली में उन्हें जगह दी गयी थी। इसके लिए बाकायदा उन्हें ट्रेनिंग दी गयी थी।

गहरवार ने शादी नहीं की है, उनका देखरेख उनकी विधवा बहन शांतिदेवी भाटी करती है। उन्होंने कहा कि वो अभी भी पैदल ही केसरगंज में स्थित स्वतंत्रता सेनानी भवन जाते हैं। एक जमाने में वहां पर 20-25 स्वतंत्रता सेनानी हुआ करते थे। लेकिन अब दो ही बचे हुए हैं। एक वो खुद हैं और दूसरे होलीदड़ा निवासी श्रीकिशन अग्रवाल हैं जो अब काफी बीमार रहते हैं। बताते चलें कि देश ने आज 75 वां स्वतंत्रता दिवस मनाया है। इस अवसर पर पूरे देश में कई कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।