देश की नई संसद का उद्घाटन 28 मई को होने जा रहा है। उससे पहले ही राजनीतिक हलचलें शुरू हो गई हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि नई संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा करवाया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने संसद के शिलान्यास में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को शामिल नहीं करने और एससी-एसटी को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को घेरा है।
उन्होंने कहा, “नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए। नई संसद के शिलान्यास के समय तत्कालीन राष्ट्रपति को नहीं बुलाया गया था, इस बार उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाया गया है। वे (बीजेपी) कहते हैं कि हम एससी/एसटी को महत्व देते हैं, लेकिन वहां महत्व और सम्मान नहीं देते हैं जहां उन्हें दिया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों कराए जाने से लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दिखेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सरकार में राष्ट्रपति का पद महज प्रतीकात्मक बनकर रह गया है। इससे पहले रविवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि संसद के नए भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं, बल्कि राष्ट्रपति मुर्मू को करना चाहिए।
खड़गे ने एक ट्वीट कर कहा, “ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने दलित और आदिवासी समुदायों से राष्ट्रपति इसलिए चुना ताकि राजनीतिक लाभ लिया जा सके।” उन्होंने कहा, “संसद भारतीय गणराज्य की सर्वोच्च विधायी संस्था है और राष्ट्रपति सर्वोच्च संवैधानिक पद है। राष्ट्रपति मुर्मू सरकार, विपक्ष और हर नागरिक का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह भारत की प्रथम नागरिक हैं।” खड़गे ने कहा, “अगर संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति करती हैं तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करेगा।” उन्होंने आरोप लगाया, “मोदी सरकार संवैधानिक मर्यादा का बार-बार अनादर करती है और भाजपा-आरएसएस की सरकार ने भारत के राष्ट्रपति के पद को प्रतीकात्मक बना दिया है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे।