Kumbh Conclave: प्रयागराज महाकुंभ न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक, पारंपरिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अद्वितीय है। यह आयोजन मानवता के सबसे बड़े धार्मिक उत्सवों में से एक है, जो सदियों से भारतीय जीवनशैली और संस्कृति का प्रतीक रहा है। महाकुंभ मेला केवल एक स्नान पर्व नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज की गहरी आध्यात्मिकता और सामाजिकता को दर्शाने वाला आयोजन है। इसे वैश्विक पहचान देने के लिए प्रयागराज में कुंभ कॉन्क्लेव का आयोजन हो रहा है, जिसका उद्देश्य न केवल इसकी ऐतिहासिकता और परंपरा को उजागर करना है, बल्कि इसे आधुनिक तकनीकों और विचारों के साथ जोड़कर वैश्विक मंच पर स्थापित करना है। प्रयागराज के अलावा अन्य 25 स्थानों पर भी कुंभ कॉन्क्लेव आयोजित किए जा रहे हैं। यह पहल 2019 के कुंभ के बाद शुरू हुई थी।
पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, आरिफ मोहम्मद खान, चिदानंद सरस्वती भी आएंगे
प्रयागराज में 25 से 27 नवंबर तक मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT) में आयोजित होने वाले इस तीन दिवसीय कुंभ कॉन्क्लेव में 11 सत्र होंगे। यह सत्र विभिन्न विषयों पर आधारित होंगे, जिनमें कुंभ की सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं के साथ-साथ आधुनिक युग की जरूरतों और तकनीकी नवाचारों पर चर्चा होगी। आयोजन में शामिल होने वाले प्रमुख वक्ता भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, गोवा के राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन पिल्लई और उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, कुंभ के महत्व और उसके प्रभाव पर विचार साझा करेंगे। इसके अलावा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय, परमार्थ निकेतन आश्रम के स्वामी चिदानंद सरस्वती और केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखे जैसे अन्य विद्वान कुंभ की गहराई और उसकी आधुनिक प्रासंगिकता पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों की होगी थ्रीडी प्रस्तुति, तकनीकी और डिजिटल शो भी
इस कॉन्क्लेव में एक विशेष प्रदर्शनी के तहत समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों की थ्रीडी मॉडल प्रस्तुति दी जाएगी, जो महाकुंभ की पौराणिकता को दर्शाएगी। इसके अतिरिक्त डिजिटल महाकुंभ वॉक-थ्रू के माध्यम से अतिथियों को महाकुंभ क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं को समझने का अवसर मिलेगा। बड़ी एलईडी स्क्रीन पर कुंभ मेला, नागा साधुओं और अखाड़ों के संन्यासियों के जीवन का एनीमेशन चित्रण किया जाएगा। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और परंपराओं को तकनीकी माध्यम से नए तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास है।
कॉन्क्लेव का उद्देश्य केवल धार्मिक महत्व को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और प्रशासनिक कुशलता को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करना है। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग, प्रयागराज मेला प्राधिकरण, और केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय इस आयोजन के लिए सहयोग कर रहे हैं। इंडिया थिंक काउंसिल और एमएनएनआईटी के इनोवेशन और इनक्यूबेशन हब द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम सांस्कृतिक संवाद और विमर्श की परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास करेगा। इसमें नीतिगत और लोक-कल्याणकारी विषयों पर भी गहराई से चर्चा होगी।
दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में जुटेंगे देश-विदेश के 700 विशिष्ट अतिथि
इस आयोजन के माध्यम से न केवल देश बल्कि विदेशों में भी महाकुंभ की प्रतिष्ठा को बढ़ावा दिया जाएगा। दिल्ली में आयोजित होने वाले अगले सत्र में दुनियाभर से 700 विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे। यह कॉन्क्लेव वैश्विक मंच पर भारतीय संस्कृति, धर्म और आध्यात्मिकता को प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा। गोलमेज सम्मेलनों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ अपनी विशेषज्ञता साझा करेंगे। इसमें प्रशासन, रेलवे, पुलिस, चिकित्सा, इंजीनियरिंग और मीडिया से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक हस्तियां, रिसर्च स्कॉलर और छात्र-छात्राएं भी भाग लेंगे।
सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों के जरिए इस कार्यक्रम का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी प्रचार-प्रसार किया जाएगा। ‘प्रसार भारती’, ‘अतुल्य भारत’, और उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग इसके प्रसारण और प्रचार में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
कुंभ कॉन्क्लेव न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक संवाद को मजबूत करेगा, बल्कि यह आधुनिक तकनीकों और विचारों को भी आध्यात्मिकता से जोड़ने का एक मंच प्रदान करेगा। यह प्रयागराज महाकुंभ की वैश्विक ख्याति को और मजबूत करने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को हमारी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का प्रयास है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की जड़ों को सहेजने और उन्हें विश्व पटल पर प्रस्तुत करने का एक अनूठा अवसर साबित होगा।