Largest Temporary Infrastructure Provider Contractor: कुंभ मेला, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी या बड़े खेल आयोजनों की बात करें, लल्लू जी टेंट हाउस का नाम सबसे पहले सामने आता है। हर बड़े आयोजन की सफलता के पीछे इस कंपनी का हाथ होता है। यह कंपनी अब एशिया के सबसे बड़े टेंट हाउस के रूप में पहचानी जाती है। चाहे वह महीनों तक चलने वाला कोई महोत्सव हो, हफ्तों तक चलने वाली राजनीतिक रैली हो, संत समागम हो या आध्यात्मिक उत्सव, लल्लू जी टेंट हाउस ने इन सभी आयोजनों की तैयारी और कार्यान्वयन में अहम भूमिका निभाई है। वह सबसे बड़ा अस्थायी बुनियादी ढांचा प्रदाता सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त ए क्लास ठेकेदार (Largest temporary infrastructure provider Government recognized A class contractor) हैं।
इतिहास और शुरुआत
लल्लू जी टेंट हाउस की नींव 1918 में बाल गोविंद दास लल्लूजी द्वारा वाराणसी से इलाहाबाद (अब प्रयागराज) स्थानांतरित होकर रखी गई थी। शुरुआत में, यह कंपनी केवल तिरपाल और टेंट के निर्माण और किराए पर देने का काम करती थी। 1920 में, बाल गोविंद दास ने माघ मेले में पहली बार तंबू लगाने का कार्य किया और उनके प्रयासों ने सफलतापूर्वक इसे एक बड़ा व्यवसाय बना दिया। आज उनकी पांचवी पीढ़ी इस व्यवसाय को चला रही है।
प्रयागराज का महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। इस आयोजन में करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं, और इसके आयोजन के लिए विशाल तंबुओं, अस्थायी संरचनाओं और प्रशासनिक ढांचे की जरूरत होती है। यहां लल्लू जी टेंट हाउस का योगदान अहम है। कुंभ मेले के आयोजनों में यह कंपनी तंबू, बांस-बल्लियां, कुर्सियां और अन्य बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करती है, जो इस विशाल आयोजन को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक होती हैं। 2019 के अर्धकुंभ में लल्लू जी ने लगभग 70% क्षेत्र में टेंट सिटी बसाई थी, जो श्रद्धालुओं को ठहरने की सुविधा देती है और प्रशासनिक ढांचे की तरह काम करती है।
लल्लू जी टेंट हाउस की कार्यप्रणाली बेहद सटीक और योजनाबद्ध है। महाकुंभ के आयोजन के लिए यह कंपनी डेढ़ साल पहले ही तैयारियों में जुट जाती है। मानसून खत्म होते ही संगम क्षेत्र में निर्माण कार्य शुरू हो जाता है, जिसमें तंबू बनाने, रिपेयरिंग और पुराने इन्फ्रास्ट्रक्चर का रिफर्बिशमेंट जैसे कार्य किए जाते हैं। इनके द्वारा बनाए गए टेंट में विविधताएं होती हैं जैसे फाइव स्टार सुविधाओं वाले टेंट, वाटरप्रूफ पॉलीथिन लेयर वाले टेंट, और ठंड से बचाने के लिए इंसुलेटेड टेंट। इसके अलावा, प्रशासनिक ढांचे और कार्यालयों का निर्माण भी इन्हीं के द्वारा किया जाता है।
2019 के कुंभ मेला में लगा था घपलेबाजी का आरोप
2019 के कुंभ मेला में लल्लू जी टेंट हाउस पर कुछ विवाद उठे थे। आरोप था कि कंपनी ने फर्जी मांगपत्रों और कार्यादेशों के आधार पर 109 करोड़ रुपये के बिल बनाने की कोशिश की थी, जिसके चलते उसे ब्लैकलिस्ट किया गया था। हालांकि, इस विवाद ने कंपनी की साख को कुछ समय के लिए नुकसान पहुंचाया, लेकिन इसके बावजूद यह सच्चाई है कि लल्लू जी टेंट हाउस की विशेषज्ञता और समर्पण ने उसे अन्य बड़े आयोजनों में काम पाने से नहीं रोका।
लल्लू जी टेंट हाउस ने न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई है। गुजरात के कच्छ में रण उत्सव, स्टैचू ऑफ यूनिटी के पास लक्ज़री कॉटेज, और उड़ीसा के कोणार्क और हीरापुर में पर्यटन विस्तार के लिए टेंट सिटी का निर्माण इसके द्वारा किया गया है। इसके अलावा, नेपाल और भूटान में धार्मिक आयोजनों और पर्यटन उत्सवों के लिए भी इसने टेंट सिटी बनाई है, और मध्य एशिया के अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भी तंबू और अस्थायी संरचनाएं मुहैया करवाई हैं।
लल्लू जी टेंट हाउस के कारण प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। हर महाकुंभ और अन्य बड़े आयोजनों में लगभग 5,000 से अधिक मजदूर और कारीगर काम करते हैं। कपड़ा, रस्सी, और अन्य सामानों की आपूर्ति के लिए स्थानीय बाजारों पर निर्भरता भी है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाती है।