Saints hierarchy: सनातन धर्म में साधु-संतों की परंपरा बहुत पुरानी है। साधु-संत अलग-अलग तरह के होते हैं और हर किसी का अपना महत्व होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सनातन धर्म में सबसे बड़ा महंत किसे माना जाता है? इसका जवाब है शंकराचार्य, जो सबसे ऊंचा पद होता है। शंकराचार्य के बाद दूसरा सबसे बड़ा पद महामंडलेश्वर का होता है। यह पद अखाड़ों में सबसे बड़ा और जिम्मेदारी भरा माना जाता है। हालांकि कुछ जगह महामंडलेश्वर से बड़ा पद द्वाराचार्य या आचार्य महामंडलेश्वर का होता है। श्री लक्ष्मी नारायण आश्रम प्रयागराज के पीठाधीश्वर श्री स्वामी विमलेशाचार्य जी महाराज ने इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी है।
कौन बन सकता है महामंडलेश्वर?
महामंडलेश्वर बनने के लिए हर कोई योग्य नहीं होता। इसके लिए कुछ जरूरी शर्तें होती हैं:
- वेद-पुराण का ज्ञान: व्यक्ति को वेदांत, धर्मशास्त्र और पुराणों का गहरा ज्ञान होना चाहिए।
- आचार्य या शास्त्री की उपाधि: अगर किसी के पास ये उपाधि है, तो उसे प्राथमिकता मिलती है।
- मठ से जुड़ाव: व्यक्ति जिस मठ या अखाड़े से जुड़ा है, वहां समाज सेवा और धर्म का प्रचार होना चाहिए।
- कथावाचक का अनुभव: अगर कोई 10-12 सालों से कथा सुनाने या मठ से जुड़ा हुआ है, तो यह भी उसकी योग्यता में गिना जाता है।
महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया
महामंडलेश्वर बनने के लिए कई नियमों का पालन करना पड़ता है। ये प्रक्रिया आसान नहीं होती। चयन के बाद व्यक्ति को सन्यास दिलाया जाता है और उसे खुद ही अपना पिंडदान करना होता है। इसके बाद महामंडलेश्वर का पट्टाभिषेक (राज्याभिषेक जैसा सम्मान समारोह) किया जाता है।
पट्टाभिषेक के दौरान 13 अखाड़ों के संत और महंत मौजूद रहते हैं। इस मौके पर व्यक्ति को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) दिया जाता है और चादर भेंट की जाती है।
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अखाड़े में पदों का क्रम
महामंडलेश्वर बनने के बाद भी अखाड़े में अलग-अलग पद होते हैं, जैसे:
- आचार्य महामंडलेश्वर (सबसे बड़ा पद)
- महामंडलेश्वर
- महंत
- कोठारी, भंडारी, थानापति, कोतवाल, श्री महंत और सचिव
- संत
इन सभी का काम और जिम्मेदारी अलग-अलग होती है।
गलत काम पर दंड का प्रावधान
अगर अखाड़े का कोई सदस्य नियम तोड़ता है या गलत कामों में शामिल पाया जाता है, तो उसका पद छीन लिया जाता है। उसे दंड देने की भी प्रक्रिया होती है। महामंडलेश्वर का पद सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि धर्म और समाज की सेवा का बड़ा दायित्व है।