Prayagraj Maha Kumbh 2025 Conclave: प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान में 25-27 नवंबर को आयोजित तृतीय कुंभ कॉन्क्लेव 2024-25 ने सनातन संस्कृति, तकनीकी नवाचार और आध्यात्मिक विचारों का आदान-प्रदान किया। इस कार्यक्रम का आयोजन इंडिया थिंक काउंसिल ने उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग, संस्कृति विभाग और प्रयागराज मेला प्राधिकरण के सहयोग से किया।
पहला दिन: आस्था और संस्कृति पर चर्चा
कार्यक्रम की शुरुआत संस्थान के निदेशक आर एस वर्मा के स्वागत भाषण से हुई। प्रमुख अतिथियों में मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, स्वामी चिदानंद सरस्वती और भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक मेहता मौजूद रहे। पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने वर्चुअल संदेश के जरिए कुंभ के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने वर्चुअल माध्यम से 2028 के सिंहस्थ मेले का जिक्र करते हुए इसे आस्था और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताया। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कुंभ को आत्ममंथन की यात्रा बताते हुए प्लास्टिक-मुक्त कुंभ का आह्वान किया।
दूसरा दिन: नवाचार और विचार विमर्श
दूसरे दिन तकनीकी विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने कुंभ में नवाचार की भूमिका पर चर्चा की। आईआईएम लखनऊ के निदेशक एस वेंकट रमैया और ट्रिपल आईटी इलाहाबाद के निदेशक मुकुल शरद ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नई तकनीकों का उपयोग समझाया। टेंपल कनेक्ट के फाउंडर गणेश गिरीश कुलकर्णी ने 57 देशों में 11,000 मंदिरों को जोड़ने के अपने अनुभव साझा किए।
बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने संविधान दिवस का महत्व बताते हुए कहा कि कुंभ विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक उत्सव है। जेएनयू के अभिषेक श्रीवास्तव ने कुंभ को ज्ञान और सांस्कृतिक एकता का केंद्र बताया। यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हर घर संविधान का नारा देते हुए राज्य सरकार की योजनाओं और राम मंदिर निर्माण के ऐतिहासिक पहलुओं पर प्रकाश डाला।
तीसरा दिन: तकनीक और आध्यात्मिक विचार
तीसरे दिन आईआईटी बीएचयू के निदेशक अमित पात्रा, काशी विश्व परिषद के मंत्री रामनारायण द्विवेदी और यूपी के मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने कुंभ की आध्यात्मिक और तकनीकी भूमिका पर चर्चा की।
पूर्व आईजी केपी सिंह ने प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की संभावनाओं पर बात की। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअल माध्यम से कुंभ को वैश्विक मंच बताया।
अवनीश अवस्थी ने बताया कि इस कुंभ आयोजन में 14,500 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जिनका उपयोग सरस्वती कूप, अक्षयवट मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों के विकास के लिए किया जा रहा है। रामनारायण द्विवेदी ने कल्पवास के महत्व और ज्योतिषीय गणना के आधार पर कुंभ के निर्धारण पर प्रकाश डाला।