शिक्षाविद और लेखक प्रताप भानु (पीबी) मेहता ने कहा कि ‘एक तरीके से’ महात्मा गांधी की हत्या ने देश को बचा लिया। उन्होंने कहा कि यदि गांधीजी की हत्या नहीं होती तो भारत हिन्दू राष्ट्र बन जाता। कांग्रेस भी दो फाड़ हो जाती।” उन्होंने यह बात दिल्ली के गांधी पीस फाउंडेशन में 45 वां महात्मा गांधी मेमोरियल लेक्चर में कही।

उन्होंने कहा, “हम गांधी का सम्मान करते हैं। लेकिन 1930 के दशक की शुरुआत में हमें यह नहीं पता था कि उसके साथ क्या करना है। एक तरह से (नाथूराम) गोडसे के हाथों उसकी हत्या ने भारत को बचा लिया। इसने कांग्रेस पार्टी में एक संभावित विभाजन को रोकने और इसने हिंदू राष्ट्रवाद को स्वीकार करने से रोका। क्या गांधी की हत्या के बिना नेहरूवादी भारत का निर्माण आसान था? इसलिए गांधी की मृत्यु ने एक उद्देश्य को पूरा किया।”

‘गांधी का औचित्य: गांधी और समकालीन राजनीति’ विषय पर बोलते हुए मेहता पूछा, “इस मौके पर हमें किस गांधी को याद करना चाहिए? वह गांधी जो हमें प्रेरित करते हैं, जो हमारे विरोध को काफी कुछ देते हैं? या फिर उस गांधी को जिसने भारत की आजादी की प्रतिक्रिया पर ‘चुप्पी साध’ ली थी।?”

मेहता ने भाजपा को “हिंदू धर्म के लिए सबसे अधिक कट्टरपंथी चुनौती” बताया। उन्होंने कहा, “कई बार फासीवाद के अलग लक्षण दिखते हैं। अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के कारण यह है कि जो तानाशाही बढ़ा रहे हैं, और एक नेतृत्व सिद्धांत के प्रति निष्ठा जताते हैं, मानते हैं कि नेता जो भी करते हैं वह सही है।”

वर्तमान राजनीतिक माहौल को लेकर उन्होंने कहा कि लोग इसकी तुलना यूरोप के 1930 के दशक से करते हैं, लेकिन इसकी एक और चीज से तुलना हो सकती है। उन्होंने कहा, “1920 और 30 के दशक ने सांप्रदायिकता को बढ़ते देखा है। गांधी की प्रतिक्रिया सांप्रदायिक सौहार्द के सांस्कृतिकता को खोजने के लिए थी। उनका दावा था कि हिंदू-मुस्लिम एकता ‘बिना शर्त’ या ‘लालच’ के होनी चाहिए। सौदेबाजी नहीं होनी चाहिए।” मेहता ने कि सोशल मीडिया के जमाने में सत्य और असत्य के बीच एक विषमता है। सत्य को स्थापित करने के बजाय संदेह को बोना आसान है। कोई भी विभूति उस संदेह से नहीं बच सकते हैं।