राष्ट्रीय गीत वंदेमातरम् को लेकर एक बार फिर विवादित बयानबाजी हुई है। इस बार यह बयान बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर की तरफ से आया है। प्रकाश अंबेडकर का कहना है कि जब राष्ट्रगान (जन-गण-मन) मौजूद है तो फिर राष्ट्रीय गीत (वंदेमातरम्) की क्या जरुरत है? प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि जब हमारे पास पहले से ही राष्ट्रगान मौजूद है, तो फिर हमें अन्य राष्ट्रगीत की क्या जरुरत है? ये लोगों की पसंद पर छोड़ देना चाहिए कि वह राष्ट्रगान गाना चाहते हैं या फिर राष्ट्रगीत! वो लोग राष्ट्रवादी हैं जो राष्ट्रगीत गातें है और यदि कोई राष्ट्रगीत नहीं गाता है तो वह गद्दार हो गए? लोगों को राष्ट्रभक्ति का सर्टिफिकेट देने वाले ‘वो’ लोग कौन होते हैं?

माना जा रहा है कि प्रकाश अंबेडकर ने अपने इस बयान के जरिए भाजपा पर निशाना साधा है। दरअसल कुछ समय पहले भाजपा राष्ट्रगीत को लेकर अड़ी हुई थी और असदुद्दीन ओवैसी समेत कई मुस्लिम नेताओं ने इसे ना गाने की जिद पकड़ी हुई थी। दरअसल मुस्लिम नेताओं का तर्क है कि राष्ट्रगीत वंदेमातरम् एक धर्म विशेष के हिसाब से भारतीय राष्ट्रवाद को परिभाषित करता है और इस गीत में धार्मिक पहलू भी है। लेकिन भाजपा के नेता इस पर अड़े रहे और उन्होंने राष्ट्रगीत ना गाने वाले लोगों को पाकिस्तान जाने की सलाह तक दे डाली थी। बहरहाल अब प्रकाश अंबेडकर द्वारा राष्ट्रगीत को लेकर दिया गया ताजा बयान एक बार फिर राष्ट्रगीत के विवाद को हवा दे सकता है। रिपब्लिक वर्ल्ड की एक खबर के अनुसार, प्रकाश अंबेडकर राष्ट्रगीत के बहाने मुस्लिमों को अपने पक्ष में करना चाहते हैं और दलित मुस्लिम एकता की पैरोकारी कर रहे हैं।

खबर के अनुसार, प्रकाश अंबेडकर ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के साथ गठबंधन किया है। इसी मुद्दे पर जब पत्रकारों ने प्रकाश अंबेडकर से इस गठबंधन पर सवाल किया कि ओवैसी तो राष्ट्रगीत का विरोध करते हैं तो ऐसे में उनका इस विवाद पर क्या कहना है? इसी सवाल के जवाब में प्रकाश अंबेडकर ने ये बयान दिया और असदुद्दीन ओवैसी के स्टैंड से अपनी सहमति जता दी। अब देखने वाली बात होगी कि प्रकाश अंबेडकर का यह बयान क्या राजनैतिक विमर्श में आएगा? और लोग इस पर क्या रुख अपनाते हैं?