महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) और वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) के बीच गठबंधन टूट गया है। एक साल के भीतर ही संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर और एमआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी के बीच की दोस्ती टूट गई। एआईएमआईएम ने अकेले दम पर 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है। महाराष्ट्र एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद इम्तियाज जलील ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि ‘अंबेडकर हमारी पार्टी को कम आंक रहे हैं इसलिए हमने इस चुनाव में अपने दम पर अकेले लड़ने का फैसला किया है। अब हम वंचित बहुजन आघाडी पार्टी का हिस्सा नहीं हैं।’

दोनों दलों के बीच मतभेद पर जलील ने आगे कहा ‘हम बीते दो माह से सीट शेयरिंग पर बातचीत कर रहे थे। हमने 74 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी और हम इससे कम सीटों पर भी मिलकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे। लेकिन अंबेडकर हमें 8 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कह रहे थे। वह इससे ज्यादा सीटों पर हामी नहीं भर रहे थे जो कि हमें स्वीकार्य नहीं था। यही वजह रही कि हमने अकेले चुनाव लड़ने का मन बनाया। हालांकि इस दौरान हमने उन्हें सोचना का मौका भी दिया लेकिन वह अपनी बात पर अड़े रहे।’

उन्होंने आगे कहा ‘अंबेडकर को लगा रहा है कि एआईएमआईएम के पास इतनी बड़ी संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मजबूत आधार नहीं है। उन्हें लगता है कि हम सिर्फ 8 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन हमें लगता है कि कम से कम 70 सीटों पर तो चुनाव लड़ना ही चाहिए। वह हमें कम आंक रहे हैं। हम अलग-अलग पृष्ठभूमियों के नेताओं को टिकट देंगे। वे सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि अलग धर्म और जाति से संबंधित होंगे।’

वीबीए का गठन मार्च 2018 में किया गया था। अम्बेडकर ने अपने भरिप बहुजन महासंघ का एआईएमआईएम में विलय किया था। पिछले साल सितंबर में ही सोलापुर में इसका पहला सत्र आयोजित किया गया था, जिसमें भारी संख्या में पार्टी नेता और लोग पहुंचे थे। हालांकि पार्टी प्रमुख सहित वीबीए के किसी भी उम्मीदवार ने लोकसभा चुनाव नहीं जीता, माना जाता है कि वीबीए उम्मीदवारों की उपस्थिति के वजह से ही कांग्रेस-राकांपा के कम से कम नौ उम्मीदवारों को लोकसभा चुनाव में हार मिली।

वीबीए के उम्मीदवारों ने कांग्रेस-राकांपा उम्मीदवारों में सेंध लगाई। स्वयं राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण नांदेड़ में वीबीए उम्मीदवार की वजह से हार गए थे। मालूम हो कि चुनाव आयोग महाराष्ट्र में इस महीने कभी भी चुनाव की तारीखों का एलान कर सकता है। ऐसे में सभी दल अपनी-अपनी रणनीतियों के तहत कदम उठा रहे हैं।