बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में कथित तौर पर हिंदी भाषियों से भेदभाव का मामला गर्माता जा रहा है। वाराणसी में कई जगहों पर ऐसे पोस्टर देखे गए हैं जिनमें BHU के वाइस चांसलर को हिंदी विरोधी करार देते हुए उनके इस्तीफे की मांग की गई है। एएनआई पर ऐसी कुछ तस्वीरें सामने आई हैं। हाल ही में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए इंटरव्यू के दौरान बीएचयू प्रशासन ने कथित तौर पर उन कैंडिडेंट्स का इंटरव्यू नहीं लिया था, जिन्होंने हिंदी को बातचीत की भाषा बताया था।
पोस्टर में लिखी हैं ये बातेंः पोस्टर में बीएचयू के वीसी राकेश भटनागर को संबोधित करते हुए कुछ सवाल पूछे हैं। इस्तीफा मांगने वालों ने पूछा है, ‘काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी के साथ सौतेला व्यवहार क्यों? हिंदी भाषी होने के चलते इंटरव्यू देने आए लोगों का अपमान क्यों?’ विरोध करने वालों ने इसे संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन और मौलिक अधिकारों का हनन करार देते हुए विश्वविद्यालय में राजभाषा प्रकोष्ठ की जरूरत पर भी सवाल उठा दिए।
‘जेएनयू पर विशेष कृपा क्यों?’: पोस्टर में नियुक्ति प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और अनियमितता का आरोप लगाते हुए जेएनयू पर विशेष कृपा किए जाने का भी आरोप लगाया है। साथ ही यह भी लिखा है कि महामना की गरिमा और बीएचयू की अस्मिता से दुर्व्यवहार किया जा रहा है।
Hindi News Live Hindi Samachar 17 January 2020: पढ़ें आज की बड़ी खबरें
‘पोस्टर लगाने वाले नकारात्मक सोच के’: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीएचयू के जनसूचना अधिकारी राजेश सिंह ने पोस्टर लगाने वालों को नकारात्मक सोच का करार दिया। उन्होंने दावा किया है कि इंटरव्यू की पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ हुई है, इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। प्रशासन को ऐसे लोगों से निपटना चाहिए।

