Parliament News: संसद में हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही में आने वाले व्यवधान को रोकने के लिए नई आचार संहिता लेकर पार्लियामेंट में अधिकारी विचार कर रहे हैं। बता दें कि सदन में हंगामे के दौरान सदन में पोस्टर व तख्तियों के इस्तेमाल को रोकने के तरीकों पर विचार हो रहा है। गौरतलब है कि इनकी वजह से दोनों सदनों, विशेषकर राज्यसभा की कार्य कुशलता पर असर पड़ा है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक हाल ही में दो सांसदों से पार्लियामेंट की एक प्रमुख संसदीय पदाधिकारी से हुई बातचीत में पता चला कि संसद में तख्तियों और पोस्टरों के बढ़ते उपयोग और सांसदों के ऊपरी सदन के वेल में जाने पर चिंता जताई गई थी। नाम न बताने की शर्त पर दो सांसदों में से एक ने कहा, “चर्चा के दौरान नई आचार संहिता की संभावना पर भी चर्चा हुई।” इसमें सदन में तख्तियों का प्रदर्शन रोकने की जरूरत, सांसदों को वेल में जाने से रोकने का प्रावधान होगा।
गौरतलब है कि तख्तियों व पोस्टरों के प्रदर्शन के चलते पिछले सत्र में लोकसभा में चार और राज्यसभा में 19 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। वहीं 2021 के शीतकालीन सत्र में 12 राज्यसभा सांसदों को पहले मानसून सत्र के अंतिम दिन व्यवधान और गलत व्यवहार के लिए निलंबित कर दिया गया था।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जहां लोकसभा ने नियमित रूप से काम किया और 100% से अधिक कार्य कुशलता देखने को मिली। वहीं पिछले पांच सालों में, राज्यसभा ने अपने समय का पूरी तरह से 14 में से केवल दो सत्रों में उपयोग किया है।
वैसे भारतीय संसद के लिए वॉलंटरी आचार संहिता नई नहीं है। देश की आजादी के 50वीं वर्षगांठ के मौके पर संसद में सांसदों ने फैसला किया था कि सदन के वेल में प्रवेश नहीं होगा। हालांकि यह इरादा अल्पकालिक के लिए था। क्योंकि उसके बाद सदन में कई बार वेल में जाने की घटनाएं हुईं और व्यवधान डाला गया।
बता दें कि संसद में दोनों सदनों के लिए सांसदों के आचरण को लेकर आचार समितियां हैं, जो इससे संबंधित मुद्दों को देखती हैं। 2005 में, उच्च सदन ने सार्वजनिक हित को खतरे में नहीं डालने और सदन की गरिमा और शालीनता के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए एक आचार संहिता को अपनाया था।