प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सुभाष चंद्र बोस की 119वीं जयंती पर उनसे जुड़ी 100 गोपनीय फाइलों की डिजिटल प्रतियां सार्वजनिक कीं। इन फाइलों से नेताजी की मृत्यु से जुड़े विवाद को समझने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने फाइलों को सार्वजनिक किया और इनकी डिजिटल प्रतियां भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में प्रदर्शित करने के लिए जारी कीं। प्रधानमंत्री ने एक बटन दबाकर इन फाइलों की प्रतियों को सार्वजनिक किया और उस समय सुषाभ चंद्र बोस के परिवार के सदस्य, केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और बाबुल सुप्रियो मौजूद थे। बाद में मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने सार्वजनिक की गई इन फाइलों को देखा और वहां राष्ट्रीय अभिलेखागार में आधे घंटे तक रहे। उन्होंने बोस के परिवार के सदस्यों से भी बात की ।

उधर, कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। बनर्जी ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘‘राष्ट्र नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि।’’ ममता सरकार ने पिछले साल सितंबर में नेताजी से संबंधित 64 ‘गोपनीय’ फाइलों को जारी किया था। बता दें कि राष्ट्रीय अभिलेखागार की योजना हर महीने नेताजी से जुड़ी 25 फाइलों की डिजिटल प्रतियां सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराने की है। राष्‍ट्रीय अभिलेखागार पहुंचा नेताजी का परिवार उनसे जुड़ी फाइलों को देखकर भावुक हो उठा।

 

इससे पहले, एक आधिकारिक विज्ञप्ति में शुक्रवार को कहा गया कि भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनएआई) प्रारंभिक संरक्षण उपायों और डिजिटलीकरण के बाद नेताजी से संबंधित 100 फाइलों को सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध करा रहा है। इस पहल से इन फाइलों को सुलभ कराए जाने के लिए ‘‘लंबे समय से चली आ रही जनता की मांग’’ पूरी होगी। साथ ही विद्वानों को नेताजी पर आगे और शोध करने में भी मदद मिलेगी।  प्रधानमंत्री ने पिछले साल 14 अक्टूबर को नेताजी के परिवार के सदस्यों के साथ मुलाकात के दौरान घोषणा की थी कि सरकार नेताजी से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करेगी और उन्हें जनता के लिए सुलभ बनाएगी। इस घोषणा के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने 33 फाइलों की पहली खेप सार्वजनिक कर दी थी और चार दिसंबर को राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंप दी थी। इसके बाद गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने भी अपने पास मौजूद संबंधित संग्रह में शामिल नेताजी से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। उन्हें बाद में भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार को स्थानांतरित कर दिया गया।