उस्मानिया विश्वविद्यालय परिसर में टकराव बढ़ाने वाले कदम के तहत छात्रों के एक समूह ने आगामी 10 दिसंबर को ‘पोर्क फेस्टिवल’ आयोजित करने की घोषणा की है। उसी दिन एक अन्य छात्रों का समूह ‘बीफ फेस्टिवल’ आयोजित करने वाला है। विश्वविद्यालय में एक छात्र समूह के नेता सोलंकी श्रीनिवास ने कहा कि पोर्क एक पोषक खाद्य विकल्प है और देश में सुअर पालन से कुछ समुदायों को आजीविका मिलती है। यह समूह ‘पोर्क फेस्टिवल’ आयोजित करने की योजना बना रहा है।

श्रीनिवास से जब यह पूछा गया कि क्या यह कार्यक्रम बीफ फेस्टिवल के जवाब में है तो श्रीनिवास ने कहा कि अगर उस फेस्टिवल के आयोजक ऐसा सोचते हैं तो उनकी मदद नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, ‘आप अपना खाना खाते हैं, हम अपना…।’ श्रीनिवास ने आरोप लगाया कि बीफ खाने को प्रोत्साहन देकर पोर्क खाने को कमतर करने की साजिश है। श्रीनिवास ने कहा कि कई खिलाड़ी अपनी फिटनेस को बढ़ाने के लिए पोर्क खाते हैं।

बीफ फेस्टिवल के आयोजकों ने मंगलवार को कहा था कि 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर इसकी इसलिए योजना बनाई जा रही है ताकि लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बचाया जा सके क्योंकि कुछ समूहों की खाने की आदत को कथित तौर पर दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

फेस्टिवल के आयोजकों में से एक शंकर ने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआइएसएफ) का सदस्य होने का दावा किया था। एआइएसएफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की छात्र इकाई है। इससे पहले घोषामहल इलाके से भाजपा विधायक राजा सिंह ने कार्यक्रम को रोकने का संकल्प जताया था। उन्होंने कहा था कि गाय देश में करोड़ों लोगों के लिए पवित्र पशु है। सिंह ने कहा था कि विश्वविद्यालय के कुलपति को ज्ञापन सौंपा गया है जिसमें कहा गया है कि अगर बीफ फेस्टिवल की अनुमति दी गई तो परिसर में गो-पूजन की भी अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने मांग की थी कि तेलंगाना के भाजपा अध्यक्ष जी किशन रेड्डी को ‘बीफ फेस्टिवल नहीं रोकने के पक्ष में बोलने के लिए’ अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।