Jammu Kashmir Lok Sabha Chunav Result: लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और देश के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने रविवार को तीसरी बार शपथ ले ली है। इसी बीच, सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अल्ताफ भुकरी की अपनी पार्टी और गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के भविष्य पर सवाल भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इन सभी को परिवारवादी राजनीति के ऑप्शन के रूप में पेश किया गया था और हाल ही में खत्म हुए लोकसभा इलेक्शन में उनके खराब प्रदर्शन के बाद अक्सर उन्हें भाजपा के प्रतिनिधि का लेबल दिया गया था।

जम्मू और कश्मीर के 72 विधानसभा क्षेत्रों में बारामूला, श्रीनगर, अनंतनाग-राजौरी और उधमपुर चार लोकसभा सीट बनती हैं। केवल पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने एक विधानसभा क्षेत्र बारामूला के हंदवाड़ा में बढ़त हासिल की है। इन नतीजों ने अपनी पार्टी और डीपीएपी के भविष्य के लिए संकट खड़ा कर दिया है और उन्हें भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देने की अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है।

अपनी पार्टी को भी लगा झटका

लोकसभा के नतीजे अपनी पार्टी के लिए एक बहुत बड़ा झटका साबित हुए हैं। इसके दो उम्मीदवारों मोहम्मद अशरफ मीर की श्रीनगर और जफर इकबाल मन्हास की अनंतनाग-राजौरी सीट से जमानत जब्त हो गई। खासकर ऐसे टाइम में जब बुखारी खुद को जम्मू-कश्मीर के भावी मुख्यमंत्री के तौर पर पेश कर रहे थे। 2020 में जिला विकास परिषद (DDC) चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी को यह उम्मीद थी कि बीजेपी के समर्थन के बाद उसका लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन होगा।

पीर पंजाल के पहाड़ी क्षेत्र में बीजेपी की काफी कोशिश के बाद भी पार्टी दो लोकसभा सीटों के अंदर आने वाले 36 विधानसभा सीटों में से किसी में भी बढ़त हासिल नहीं कर सकी और केवल 9 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। अनंतनाग-राजौरी में उसे 1.42 लाख वोट मिले। इनमें से लगभग 91,986 वोट पीर पंजाल रेंज से आए।

श्रीनगर में पार्टी को केवल 9.7 फीसदी वोट शेयर ही मिल पाया। मीर और मन्हास दोनों ही श्रीनगर के लाल चौक और शोपियां के अपने गृह विधानसभा सीटों से बढ़त हासिल करने में कामयाब नहीं हुए। मीर सोनावर से दो बार पीडीपी विधायक रह चुके हैं और उन्होंने 2014 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला को करारी शिकस्त दी थी।

डीपीएपी का सबसे बुरा हाल

डीपीएपी का प्रदर्शन इससे भी ज्यादा खराब रहा। इसके तीन प्रत्याशी सलीम पार्रे (अनंतनाग-राजौरी), पूर्व कांग्रेसी जीएम सरूरी (उधमपुर) और आमिर भट (श्रीनगर) की जमानत जब्त हो गई। वहीं, तीन सीटों के अंदर आने वाले 54 विधानसभा क्षेत्रों में से किसी में भी उसे बढ़त हासिल नहीं हुई। सरूरी को 3.6 फीसदी वोट मिले और वे इंदरवाल विधानसभा क्षेत्र से बढ़त हासिल करने में कामयाब नहीं रहे। इस सीट का उन्होंने 2002, 2008 और 2014 में लगातार तीन बार प्रतिनिधित्व किया था। दूसरी तरफ भट को 2.23 फीसदी और पार्रे 2.45 फीसदी वोट मिले।

पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का खराब प्रदर्शन

पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का प्रदर्शन भी काफी बेहतर साबित नहीं हुआ है। सज्जाद लोन बारामुल्ला में अपनी जमानत बचाने में काफी मुश्किल से सफल रहे। उनको करीब 980 से ज्यादा वोट मिले। पार्टी का कुल वोट शेयर 2019 में 22.7 फीसदी से गिरकर 16.75 फीसदी हो गया। वहीं, कुपवाड़ा को लोन का गढ़ माना जाता है। यहां पर उनका वोट शेयर 27.7 फीसदी से गिरकर 23.8 फीसदी हो गया। लोन ने इस बार तो खुद चुनाव लड़ा था।

इसके उलट कुपवाड़ा से आने वाले और अब्दुल्ला को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराने वाले निर्दलीय उम्मीदवार इंजीनियर राशिद ने अपना वोट शेयर पांच साल पहले के 22.4 फीसदी से बढ़ाकर 45.7 फीसदी कर लिया।