इस समय IAS पूजा खेडकर की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक तरफ उनकी ट्रेनिंग को अब रद्द कर दिया गया है तो वहीं दूसरी तरफ एक कमेटी अभी भी उनके खिलाफ जांच कर रही है। इसी वजह से सभी के मन में यह सवाल आ रहा है कि आखिरIAS ऑफीसर्स पर कौन से रूल अप्लाई होते हैं? किन कानून के तहत उनके खिलाफ भी एक्शन हो सकता है?
IAS अधिकारी का कैसा व्यवहार होना चाहिए?
जानकारी के लिए बता दें कि बात चाहे इंडियन पुलिस सर्विस की हो या फिर इंडियन फॉरेस्ट सर्विस की, दोनों ही श्रेणियां AIS कंडक्ट रूल के तहत आती हैं। इस का रूल 3(1) कहता है कि सर्विस के तहत काम करने वाला हर अधिकारी पूरे समय नैतिकता बनाकर रखेगा, सच्ची निष्ठा और ईमानदारी के साथ काम करेगा। इसी तरह रूल 4(1) इसी बात को और ज्यादा स्पष्ट कर देता है। कहां गया है कि किसी भी अधिकारी को यह हक नहीं कि वो अपने पद का इस्तेमाल अपने किसी परिवार के सदस्य को नौकरी दिलवाने में करे या फिर उन्हें किसी प्राइवेट एनजीओ या दूसरी कंपनी में काम दिलवा दे।
IAS अधिकारी की प्राथमिकता क्या होनी चाहिए?
इन्हीं नियमों में साल 2014 में कुछ और बदलाव किए गए थे जिसके तहत कहा गया था कि हर अधिकारी को सैद्धांतिक रूप से सभी नियमों का पालन करना चाहिए। राजनीतिक रूप से भी उसे किसी तरह का पक्षपात नहीं करना चाहिए और पूरे समय पारदर्शिता के साथ काम होना चाहिए। इसके ऊपर यह भी लिखा था कि जनता की हर मुश्किल, खास तौर पर गरीब तबके की हर समस्या को प्राथमिकता के साथ इन अधिकारियों को लेना होगा्, उनके साथ अच्छा व्यवहार रखना होगा।
परिवार के हित में कोई फैसला नहीं
नियमों में तो यहां तक कहा गया है कि जितने भी ऐसे अधिकारी होते हैं, उन्हें सभी फैसले सिर्फ जनता के हित में लेने होते हैं। कोई भी ऐसा फैसला नहीं होना चाहिए जिससे निजी फायदा उसको या फिर उसके परिवार को पहुंचे। यहां भी आर्थिक फायदे को लेकर ज्यादा विस्तार से कहा गया है।
गिफ्ट को लेकर क्या नियम?
रूल 11(1) बताता है कि कोई भी सेवा में रहने वाला अधिकारी अपने करीबी या फिर निजी दोस्तों से गिफ्ट ले सकता है, लेकिन किसी भी तरह की ऑफिशियल डीलिंग नहीं होनी चाहिए। इसी तरह एनिवर्सरी या फिर किसी दूसरे कार्यक्रम में 25000 रुपए तक के गिफ्ट लिए जा सकते हैं, लेकिन अगर रकम इससे ज्यादा बैठती है तो उसे रिपोर्ट करना अनिवार्य है।
प्रोबेशन पीरियड के अलग नियम
वैसे जो अधिकारी प्रोबेशन पीरियड पर होते हैं, उनके लिए भी अलग नियम है। असल में किसी भी अधिकारी का प्रोबेशन पीरियड 2 साल के लिए चलता है। दो साल पूरे होने के बाद एक परीक्षा होती है और अगर उसमें वो उत्तीर्ण हो जाएगा, उस स्थिति में वो अपनी सेवा को जारी रख सकता है। प्रोफेशन पीरियड के दौरान एक फिक्स्ड सैलेरी दी जाती है, लेकिन कई बड़े फायदे जैसे की VIP नंबर प्लेट वाली गाड़ी, सरकारी आवास नहीं मिलते हैं।
सर्विस में आरक्षण को लेकर क्या नियम?
जानकारी के लिए बता दें कि आरक्षण को लेकर इस सर्विस में अलग नियम चलते हैं । 1995 का जो बैच था, उसमें 27% सीटें ओबीसी कैटेगरी के लिए आरक्षित कर दी गई थी। इसी तरह 2006 का जो बैच था, उस समय 3% सीटें हर कैटेगरी में दिव्यांग लोगों के लिए रिजर्व रखी गईं। लेकिन अगर किसी ने झूठ बोलकर या फर्जी दस्तावेज बनाकर खुद को दिव्यांग दिखाया या ओबीसी बताने की कोशिश की, उसे स्थिति में उस ऑफिसर को तत्काल प्रभाव से डिसमिस किया जा सकता है। इसी वजह से माना जा रहा है कि पूजा खेडकर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि उन पर सबसे गंभीर आरोप यही है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज के जरिए खुद को दिव्यांग भी दिखाया और ओबीसी कैटेगरी में बताया।