निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने एक बार फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस बार उन्होंने यूपीएससी की उम्मीदवारी रद्द करने के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया है। इस याचिका में जिन संस्थाओं की ओर से पूजा खेडकर को नोटिस जारी किया गया था, उन्हें इस याचिका में पार्टी बनाया गया है। याचिका में पूजा खेडकर ने यूपीएससी, डीओपीटी, लबासना, पुणे कलेक्टर और महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को पार्टी बनाया है।
हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
पूजा खेडकर को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा था। हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी थी। बता दें कि पूजा खेडकर यूपीएससी के नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया है। इसके बाद उनके चयन को रद्द कर दिया गया। इतना ही नहीं भविष्य में उनके यूपीएससी के किसी भी परीक्षा में शामिल होने पर भी रोक लगा दी गई। इतना ही नहीं पूजा खेडकर की मां के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। उनकी मां को किसान को धमकाने के मामले में गिरफ्तार किया गया है।
यूपीएसपी का कहना है कि पूजा खेडकर ने न सिर्फ अपना बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था। इसके अलावा तस्वीर/हस्ताक्षर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर अपनी फर्जी पहचान बनाकर परीक्षा नियमों के तहत स्वीकार्य सीमा से अधिक प्रयास का धोखाधड़ी से लाभ उठाया। दिल्ली पुलिस भी पूरे मामले की जांच कर रही है। पुलिस ने धोखाधड़ी और जालसाजी के एक मामले में पूजा खेडकर के बारे में महाराष्ट्र सरकार, मसूरी स्थित आईएएस प्रशिक्षण अकादमी और दिल्ली एम्स से जानकारी मांगी है।
कितनी हो सकती है सजा
पूजा खेडकर के खिलाफ यूपीएससी ने जालसाजी और धोखाधड़ी को लेकर मामला दर्ज किया है। उन पर भारतीय न्याय संहिता की धाराएं 318, धारा 336 (3) और धारा 340 (2) के तहत कार्रवाई की जा सकती है। बता दें कि धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज और जालसाजी के मामले में उन्हें 7 साल तक की कारावास की सजा हो सकती है। इतना ही नहीं धारा 340 में 10 साल से आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।