दिल्ली का लाल किला सभी मायनों में ऐतिहासिक महत्व रखता है। प्रधानमंत्री भी स्वतंत्रता दिवस पर यहीं से देश का तिरंगा फहराते हैं। वही रेड फोर्ट अब प्रदूषण की मार झेल रहा है। उसकी दीवारों पर कई परतें पड़ती दिखाई देने लगी हैं। जिस प्रदूषण से पूरी राजधानी परेशान चल रही है और सांस लेना मुश्किल हो रहा है, अब उसी की चपेट में यह ऐतिहासिक स्मारक भी आ चुकी है। एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें प्रदूषण और रेड फोर्ट पर पड़ रहे प्रभाव को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट में क्या-क्या पता चला?

रिपोर्ट में बताया गया है कि दीवारों पर जो काली परत जमा हुई है, उसकी वजह से पत्थर की सतह खराब हो रही है और नक्काशी पर भी असर पड़ा है। रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि कई परतें रेड फोर्ट के उन क्षेत्रों में ज्यादा हैं, जहां पर गाड़ियों का ट्रैफिक अधिक रहता है। शोध के अनुसार लाल किले की दीवारों पर दिखाई देने वाली काली परत में कई हानिकारक रसायन और भारी धातुएं मिली हैं। यह रसायन अक्सर गाड़ियों और कारखानों के धुएं से बनते हैं।

रेड फोर्ट को कितना नुकसान हुआ?

जानकारी यह भी मिली है कि इन परतों की मोटाई 0.05 मिलीमीटर से लेकर 0.5 मिलीमीटर तक हो चुकी है। इसी वजह से नक्काशियों पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक लाल किले पर अमोनिया और सल्फर डाइऑक्साइड की ज्यादा मात्रा की वजह से भी नुकसान हुआ है। यह भी क्षति का एक बड़ा कारण है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर सफाई का काम जल्द शुरू नहीं किया गया और लाल किले की दीवारों को नहीं बचाया गया, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह ऐतिहासिक स्मारक केवल इतिहास बनकर रह जाएगा।

लाल किले की बात करें तो 2007 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर घोषित कर दिया था। लेकिन यही विश्व धरोहर प्रदूषण की वजह से अपना सौंदर्य खो रही है और इसकी चमक फीकी पड़ रही है।

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